- 23 जून 1980 को संजय गांधी का प्लेन क्रैश में हुआ था निधन
- राहुल गांधी के मुताबिक उनके पिता राजीव गांधी ने संजय गांधी को प्लेन उड़ाने से मना किया था
- हादसे वाले दिन संजय गांधी पिट्स प्लेन उड़ा रहे थे, संजय गांधी को प्लने उड़ाने का कम अनुभव था
संजय गांधी की मौत प्लेन हादसे में 1980 में हुई थी। उनके निधन को लेकर तरह तरह की थ्यौरी भी तैरती रहीं हैं। जिस समय हादसा हुआ संजय गांधी पिट्स प्लेन उड़ा रहे थे और प्लेन दिल्ली के सफदरजंग एयरपोर्ट पर क्रैश हो गया। उस हादसे के करीब 41 साल बाद राहुल गांधी ने उस वाक्ये को साझा किया जिसमें वो बताते हैं कि राजीव गांधी ने पिट्स प्लेन उड़ाने से मना किया था। इसके साथ ही उनकी मां सोनिया गांधी भी किसी डरी हुई थीं।
पिट्स प्लेन उड़ा रहे थे संजय गांधी
23 जून 1980 यानी कि हादसे वाले दिन कैप्टन सक्सेना और संजय गांधी के साथ पिट्स प्लेन में सवार हुए। कैप्टन सक्सेना प्लेन के अगले हिस्से में और संजय गांधी पिछले हिस्से में बैठे। 7 बजकर 58 मिनट पर पिट्स प्लेन का टेक ऑफ कर चुका था। कहा जाता है कि संजय गांधी गाड़ी बहुत तेज चलाते थे और कुछ उसी तरह से वो प्लेन को भी उड़ाना चाहते थे। और उस क्रम में उन्होंने प्लेन उड़ाने संबंधित प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया। पिट्स प्लेन से तीन कलाबाजियां खाईं, लेकिन जब वह चौथी दफा विमान के इंजन ने काम करना बंद कर दिया। प्लेन तेजी से नीचे आने लगा और जमीन से टकरा गया।
माधव राव सिंधिया को प्लेन में सवार होना था लेकिन ऐन वक्त पर..
हादसे से पहले यानी 22 जून को संजय गांधी ने अपनी पत्नी मेनका गांधी को हवा में सफर कर चुके थे। उस वक्त वह खुद ही प्लेन उड़ा रहे थे। दोनों के साथ आरके धवन और धीरेंद्र ब्रह्मचारी भी मौजूद थे। 22 जून को संजय गांधी करीब 40 मिनट तक आसमान में चक्कर लगाए थे। हादसे वाले दिन तो संजय गांधी का प्लान मौजूदा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया के साथ प्लेन लेकर जाने का था, लेकिन किसी वजह से वो नहीं गए।