- बुलंदशहर जिला पंचायत पर बीजेपी का कब्जा, डॉ अंतुल तेवतिया निर्विरोध निर्वाचित
- 'यूपी में बीजेपी की 65 सीटों पर शीर्ष नेताओं की दूरगामी सोच की जीत'
- 'बुलंदशहर में विकास की असीम संभावना, संसाधनों के उचित दोहन पर ध्यान करेंगे केंद्रित'
यूपी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के नतीजों को सेमीफाइनल की तरह माना जा रहा था। अगर नतीजों को देखें तो बीजेपी ने अपने सहयोगियों के 67 सीटों पर कब्जा कर लिया। इन नतीजों की एक और खास बात यह है कि महिलाएं भी बड़ी संख्या में जीत कर अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करा चुकी हैं। उनमें से एक हैं बुलंदशहर जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए निर्विरोध निर्वाचित डॉ अंतुल तेवतिया। राजनीति की पिच पर उतरने से पहले वो डॉक्टरी के जरिए लोगों को सेवा कर रही थीं। लेकिन उनकी झोली में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद भी आ चुका है तो जाहिर है कि उनके कार्यक्षेत्र को अब और अधिक विस्तार मिला है। बीजेपी की जीत और उनकी खुद की जीत किस तरह से बुलंदशहर की जीत के साथ महिलाओं की कामयाबी है, इन सभी मुद्दों पर उन्होंने Times Now से खास बातचीत की।
सवाल- पहले आप डॉक्टर की भूमिका में थीं और अब आप जनप्रतिनिधि बन चुकी हैं। दोनों में किस तरह से सामांजस्य बना पाएंगी।
जवाब- मुझे इस बात की खुशी है कि मैं हमेशा से जनसेवा से जुडी रही हूं। मेरे पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी रहे और चिकित्सक थे। मेरी मां भी डॉक्टर हैं और दोनों ने ग्रामीण क्षेत्रों के लोग, पिछड़े और गरीबों की सेवा की। संगठन की भावना से माता-पिता के द्वारा दिए गए संस्कार ही हैं कि जनसेवा के प्रति मन हमेशा तत्पर रहता है। चिकित्सक होने के पीछे भी वही ध्येय रहा कि आप इस नाते लोगों की मदद कर सकेंगे, उनके कष्ट दूर कर सकेंगे जबकि राजनीति में आने के पीछे भी उद्देश्य और भाव यही है कि जन जन की सेवा कर सकूं। अपने क्षेत्र के अंतिम व्यक्ति के साथ खड़ी हो सकूं। दोनों कार्यों के बीच सामांजस्य बना पाना बहुत मुश्किल नहीं है, भाव सेवा का हो तो।
सवाल- जिला पंचायत चुनाव में महिलाओं को भी जबरदस्त जीत मिली है। इसके क्या मायने हैं?
जवाब- जिला पंचायत चुनाव में महिलाओं की जीत से पंचायत से संसद तक भागीदारी बढ़ी है। इस भागीदारी के बढ़ने से महिलाओं के मुद्दे और समस्याओं की आवाज बुलंद होगी और उनका समाधान हो सकेगा। पंचायत का सीधा ताल्लुक गांव-देहात से होता है और गांवों की महिलाओं को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने में पंचायत अहम भूमिका निभाती है। महिलाओं के पंचायत अध्यक्ष बनने से विकास कार्यक्रमों में महिलाओं पर विशेष फोकस होगा, उनसे जुड़ी योजनाओं का लाभ उन्हें प्रमुखता से मिल सकेगा।
सवाल- मौजूदा राजनीतिक परिवेश में आप महिलाओं की भूमिका को किस तरह देखती हैं?
जवाब- महिलाओं को आधी आबादी की संज्ञा दी जाती है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में बराबर की दावेदार हो रही हैं। राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं की जीत सुखद और एक बदलाव एवं बेहतरी का संदेश भी देती है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण के अहम प्रयास हुए हैं। देश के लिए कम गौरव की बात नहीं है कि निर्मला सीतरमण और स्मृति ईरानी जैसी महिलाएं केंद्रीय मंत्री हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित कई राज्यों की राज्यपाल महिलाएं हैं। यूपी में कई महिला मंत्री हैं। मुझे लगता है कि महिलाएं देश के बेहतर भविष्य निर्माण में भागीदार हो रही हैं और मेरी अपील भी है कि क्षमतावान और ऊर्जावान महिलाएं राजनीति में आएं।
सवाल- यूपी जिला पंचायत चुनाव में बीजेपी की जीत के मायने क्या हैं?
जवाब- उत्तर प्रदेश की राजनीति में जिला पंचायत का चुनाव काफी अहम माना जाता है। सूबे के आम विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले जिला पंचायत चुनाव प्रदेश की राजनीति का रुख तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। भाजपा ने पूरे प्रदेश में 67 जिला पंचायत की सीटें जीती हैं जोकि साफ दिखाता है कि प्रदेश की जनता का विश्वास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की नीतियों में है। जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए काफी अहम है क्योंकि लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन के बावजूद वेस्ट यूपी में बीजेपी ने परचम लहराया है। मतलब साफ है कि विधानसभा चुनाव 2022 में जनता बीजेपी की दोबारा सरकार बनाएगी।
सवाल- क्या यह कामयाबी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की बड़ी सफलता है?
जवाब- जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में इस प्रदर्शन का श्रेय प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, महामंत्री संगठन सुनील बंसल और तमाम समर्पित कार्यकर्ताओं की मेहनत का परिणाम है। यह वाकई सीएम योगी आदित्यनाथ की बड़ी सफलता है क्योंकि किसान आंदोलन में शामिल नेताओं का कहना था कि वह विधानसभा चुनाव से पहले जिला पंचायत चुनाव में भाजपा और सीएम योगी के विपरीत माहौल बनाएंगे और प्रचार करेंगे लेकिन उनके सभी दावे हवाई हो गए जब बीजेपी के कई जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए और पूरे प्रदेश में परचम लहराया। बीजेपी सरकार ने किसानों के हित में जो फैसले लिए, चाहे वो गेंहू की रिकॉर्ड खरीद हो या चीनी मिलों का रिकॉर्ड गन्ना मूल्य भुगतान, उनसे वेस्ट यूपी में किसान आंदोलन के बावजूद पार्टी का जनाधार बढ़ा है।
सवाल-वेस्ट यूपी में बीजेपी ने किस तरह किला फतह किया?
जवाब- बीजेपी वेस्ट यूपी के अध्यक्ष मोहित बेनीवाल के नेतृत्व में बीजेपी ने हर गांव तक संगठन का ढांचा तैयार किया और बूथ समितियां बनाई। पार्टी ने संगठन और सरकार के नुमाइंदों ने गांव गांव डेरा डाला था। किसान आंदोलन द्वारा बरगलाए गए किसानों के बीच जाकर बीजेपी के क्षेत्रीय नेताओं ने सरकार की नीतियां एवं फायदे गिनाए। वहीं जातिगत समीकरण के हिसाब से अध्यक्ष पद के अधिकृत प्रत्याशी घोषित करने का लाभ मिला। बीजेपी ने बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, सहारनपुर, बिजनौर और मेरठ में जाट, मुरादाबाद में राजपूत, अमरोहा में गुर्जर, गाजियाबाद में त्यागी जाति के प्रत्याशी उतारे।
सवाल- बुलंदशहर जिले की तीन बड़ी समस्या और उसे किस तरह दूर करेंगी।
जवाब- देखिए अगर आप बात बुलंदशहर की करेंगे तो रोजगार, किसान और दिल्ली एनसीआर से और बेहतर कनेक्टिविटी बड़ा विषय है। जैसा कि आप जानते हैं कि दिल्ली और एनसीआर के करीब होने के बावजूद जिल में रोजगार की समस्या है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधनों को उपलब्ध कराना बड़ी प्राथमिकता है। इसके लिए हम रिवर्स टूरिज्म की दिशा में काम भी कर सकते हैं। इसके अलावा बुलंदशहर कृषि प्रधान जिला है, लेकिन इस दिशा में और काम करने की जरूरत है। किसानों को उनकी उत्पाद का सही दाम मिले इसके अलावा किसान भी खेती किसानी में भिन्नता ला सकें इसके लिए वो काम करेंगी। जैसा की आप जानते हैं कि बुलंदशहर के करीब इंटरनेशल एयरपोर्ट के साथ साथ फिल्म सिटी भी आ रहा है, लिहाजा हम कैसे अपने जिले को लाभान्वित करा सकते हैं उस दिशा में काम करेंगे।