- सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने चीन की तरफ गांव बसाने की रिपोर्टों पर दी प्रतिक्रिया
- सीडीएस ने कहा कि चीन ने एलएसी के अपने हिस्से में नए निर्माण किए हैं, गांव बसाए हैं
- रावत ने कहा कि सेना के ऑपरेशन से आतंकी बौखला गए हैं, इसलिए नागरिकों को बनाया निशाना
नई दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश में चीन की ओर से गांव बसाने की मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को कहा कि ये निर्माण चीन के हिस्से वाले वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के समीप हुए हैं। चीनी सैनिकों ने अपनी पुरानी संरचना की जगह नए निर्माण किए हैं। एलएसी पर गांव बसाने की बात सही है लेकिन ये निर्माण उनकी तरफ हुआ है, भारत के हिस्से वाले एलएसी के समीप नहीं। टाइम्स नाउ समिट के दौरान टाइम्स नाउ के एडिटर इन चीफ एवं एडिटोरियल डायरेक्टर राहुल शिवशंकर के साथ बातचीत में सीडीएस ने कहा कि एलएसी के अपने वाले हिस्से में चीन के पुराने 'हट्स' थे जिन्हें हटाकर उसने नया निर्माण किया है।
सेना के ऑपरेशन से बौखला गए हैं आतंकवादी
इन 'हट्स' में वह अपने मजदूरों को रखता था। सीमा तक सड़क एवं संरचना के निर्माण के लिए मजदूरों की जरूरत पड़ती है। अब इन 'हट्स' की जगह गांव की तरह ढांचा बनाकर उसने अपने मजदूरों को वहां रखा है। एलएसी के पास और सीमावर्ती इलाकों में हम भी सड़क का निर्माण करते आए हैं। सीडीएस ने कहा कि भारत का दुश्मन नंबर एक पाकिस्तान नहीं बल्कि चीन है। उन्होंने कहा कि सेना के ऑपरेशन से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी बौखला गए हैं। इस बौखलाहट में उन्होंने करीब 12 आम नागरिकों की हत्या की है। दहशत या डरकर लोग घाटी छोड़कर नहीं जा रहे हैं।
पुराना ढांचा हटाकर चीन ने LAC पर नया निर्माण किया
गांव बसाने की मीडिया रिपोर्टों पर जनरल ने कहा कि लोगों को आज तस्वीरें सैटेलाइट एवं गूगल से मिल रही हैं। पहले ये तस्वीरें नहीं मिलती थीं। कोई भी तस्वीर सामने आती है तो अतिक्रमण या गांव बसाने की बात सामने आ जाती है। चीनी सैनिकों ने पुरानी संरचना पर नया ढांचा तैयार किया है। वे भी बॉर्डर एरिया का विकास कर रहे हैं। वे सीमा तक सड़क बनाना चाहते हैं। हम भी एलएसी और उसके आसपास विकास कर रहे हैं। पहले हम एलएसी के आस-पास सड़क का निर्माण नहीं करते थे। लोग डरते थे कि चीनी सैनिक आएंगे और निर्माण रोक देंगे या सड़क तोड़ देंगे।
'कुछ जगहों पर डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया धीमी'
सीडीएस ने कहा कि गलवान घाटी की घटना के बाद दोनों देशों के सैनिक कई बार आमने-सामने आए हैं। दोनों देश नहीं चाहते कि सैनिक एक-दूसरे के इतने करीब आएं। कोशिश सैनिकों को एक-दूसरे दूर रखने की है। सैनिक आस-पास रहेंगे तो झड़प होने की संभावना हमेशा बनी रहगी। हमारी कोशिश है कि दोनों देश की सेनाएं अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति में आ जाएं। सैन्य अधिकारी ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में कुछ जगहों पर डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया धीमी है। इसकी वजह है कि चीन ने एलएसी के अंदरूनी भागों में स्थायी ढांचे बनाए हैं। मतलब, आपका इरादा यहां लंबे समय तक रुकने का है।
डेमचोक इलाके में एक-दूसरे के ज्यादा करीब हैं सैनिक-सीडीएस
उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए हम भी इन जगहों से पीछे नहीं हटे हैं। लद्दाख में हमने भी स्थायी निर्माण किए हैं। उस तरफ चीन है तो इस तरफ हम भी है। हमारे सैनिक भी पीछे नहीं जाएंगे। जनरल ने कहा कि गलवान जैसी घटना या इस तरह के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए हम तैयार हैं। गलवान जैसा दुस्साहस चीन यदि फिर करेगा तो उसे उसी की भाषा में जवाब मिलेगा। पूर्वी इलाके के डेमचोंग इलाके में दोनों देशों के सैनिक बाकी जगहों की तुलना में ज्यादा एक-दूसरे के करीब हैं।
'थियेटर कमान देश की जरूरत'
जनरल रावत ने कहा कि थियेटर कमान आज देश की जरूरत हैं। भविष्य में हमें दो मोर्चों पर दुश्मनों का सामना करना पड़ सकता है। हमें सशस्त्र सेनाओं का एक एकीकृत रूप चाहिए। हमने 1962 में चीन से युद्ध लड़ा। इस लड़ाई में वायु सेना का इस्तेमाल नहीं हुआ। एकीकृत कमान उस समय होता तो वायु सेना चीन का कमर तोड़ देती। 1971 की लड़ाई में, सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच अच्छा समन्वय देखने को मिला। यह सेना, वायु सेना और नौसेना की पहली एकीकृत लड़ाई थी।
क्या हुआ, 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करना पड़ा। यह होता है एकीकृत कमान की ताकत। मतलब आपकी तीनों सेना समन्वय के साथ काम करती है और कम समय में आप दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाते हैं।