- तीरथ सिंह रावत कैबिनेट का विस्तार, चार नए मंत्री शामिल
- गढ़वाल से 6 और कुमाऊं से पांच मंत्रियों को मिली जगह
- गढ़वाल और कुमाऊं में संतुलन साधने की कवायद
देहरादून। तीरथ सिंह रावत के शपथ लेने के बाद हर किसी की नजर उनके कैबिनेट पर टिकी हुई थी कि कौन अपनी कुर्सी बचाए रखने में कामयाब होते हैं और किसके हिस्से मायूसी आएगी। इस विषय से पर्दा शुक्रवार शाम शाम पांच बजे हट गया। राजभवन में समारोह में 11 मंत्रियों ने पद की शपथ ली। खास बात यह है कि तीरथ सिंह रावत कैबिनेट में सात पुराने और चार नए चेहरों को जगह मिली है। नियम के मुताबिक उत्तराखंड में सीएम समेत अधिकतम 12 मंत्री हो सकते हैं।
तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल में सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल, यशपाल आर्य, अरविंद पांडेय, सुबोध उनियाल, धन सिंह रावत, रेखा आर्य, गणेश जोशी और यतीश्वरानंद का नाम शामिल है। कैबिनेट विस्तार में उन्होंने क्षेत्रीय संतुलन को साधने का प्रयास किया है। 6 मंत्री गढ़वाल मंडल से जबकि पांच मंत्री कुमाऊं मंडल से बने हैं।
गढ़वाल से 6 मंत्री
सतपाल महाराज
हरक सिंह रावत
बिशन सिंह चुफाल
सुबोध उनियाल,
धन सिंह रावत
गणेश जोशी
कुमाऊं से पांच मंत्री
- बंशीधर भगत,
- बिशन चुफाल,
- रेखा आर्या,
- यशपाल आर्या,
- अरविंद पांडे (तराई क्षेत्र, बाजपुर से विधयाक)
क्या कहते हैं जानकार
अगले साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने सीएम का चेहरा बदल दिया। दरअसल विधायकों ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ खुली बगावत कर दी थी। नाराज विधायकों का कहना था कि अगर रावत ही सरकार के मुखिया रहते हैं तो इलाकों में जाना मुश्किल हो जाएगा। इस सरकार में नौकरशाही इस कदर हावी है कि कार्यकर्ता अपने सीएम से नहीं मिल पाते और उसका असर यह है कि कार्यकर्ता कहते हैं कि वो चुनावों में प्रचार नहीं करेंगे। ऐसी सूरत में सीएम का चेहरा बदलना ही था। कई दौर के मंथन के बाद तीरथ सिंह रावत के नाम पर सहमति बनी तो सबके मन में सवाल था कि तीरथ सिंह रावत ही क्यों।
तीरथ सिंह रावत ही क्यों। इस सवाल का जवाब जानकार दिलचस्प अंदाज में देते हैं।