आजकल देश की राजनीति में बड़ी हलचल है। कांग्रेस के खिसकते जनाधार ने कई क्षेत्रीय दलों को राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का विकल्प बनने का मौका दे दिया है। इसमें दो दल सबसे आगे है ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी लगातार इस कोशिश में लगी है कि वो राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का विकल्प बनकर उभरें।
यही वजह है कि कांग्रेस में उपेक्षित, प्रताड़ित और राजनीतिक रूप से नेपथ्य में चले गये कई नेताओं के लिये ये दोनों दल हनीमून डेस्टिनेशन बन गया है।
ममता के दिल्ली प्रवास के दौरान आडवाणी के करीबी रहे सुधींद्र कुलकर्णी और जावेद अख्तर ने ममता बनर्जी से मुलाकात की है। हाल ही में गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लुजीणो फलेरिओ ने भी तृणमूल का दामन थाम लिया था। सूत्रों के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में देश भर से कांग्रेस के कई नेता तृणमूल में शामिल हो सकते है।
दिल्ली का रास्ता हिंदी पट्टी से होकर गुजरता है
राजनीतिक पंडित ममता बनर्जी की इस रणनीति को 2024 से जोड़कर देख रहे हैं। उनका मानना है कि बंगाल चुनाव में बीजेपी को परास्त करने वाली ममता की नज़र अब दिल्ली पर है लेकिन दिल्ली का रास्ता हिंदी पट्टी से होकर गुजरता है ऐसे में ममता बनर्जी को कई राज्यों में गठबंधन तो कई राज्यों में अपने सियासी वजूद को बढ़ाना होगा। इसलिए ममता बनर्जी की नज़र खासतौर से कांग्रेस के उन नेताओं पर है जो वर्तमान में हाशिये पर है।