- दुनिया के सबसे दमदार हमलावर हेलीकॉप्टरों में से एक है अपाचे
- इराक और अफगानिस्तान युद्ध में अमेरिका ने किया था इस्तेमाल
- भारतीय वायुसेना के पठानकोट एयरबेस पर तैनात होगा AH 64E अपाचे हेलीकॉप्टर
नई दिल्ली: AH 64E अपाचे- हवाई ताकत और आधुनिक हेलीकॉप्टरों की दुनिया में इस अमेरिकी हथियार की हैसियत किसी राजा जैसी है। दुनिया में अलग- अलग जगहों पर मैदान-ए-जंग में अपनी ताकत का लोहा मनवा चुका अपाचे अब भारत के दुश्मनों के दांत भी खट्टे करेगा। अमेरिका से हुए रक्षा सौदे के तहत 4 अपाचे हेलीकॉप्टरों की पहली खेप शनिवार को हिंडन एयरबेस पहुंच गई। अगले सप्ताह चार अन्य हेलीकॉप्टर आने की संभावना है।
भारतीय वायुसेना शक्तिशाली हमलावर हेलीकॉप्टरों की पर्याप्त संख्या न होने की परेशानी से जूझती रही है। इसी कमी को पूरा करने के लिए साल 2015 में भारत ने अमेरिकी सरकार और बोइंग कंपनी से 22 अपाचे हेलीकॉप्टरों का सौदा किया था। इसके बाद भारतीय थल सेना के लिए भी 6 हेलीकॉप्टरों का ऑर्डर दिया गया था।
अगले सप्ताह तक भारत आने वाले 8 अपाचे हेलीकॉप्टरों की असेंबलिंग की जाएगी और सितंबर महीने में यह हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना में शामिल किए जाएंगे। इनकी तैनाती पठानकोट एयरबेस पर की जाएगी और भविष्य में इनके रूसी एमआई 35 अटैक हेलीकॉप्टरों की जगह लेने की संभावना है। साल 2020 तक वायुसेना को सभी 22 अपाचे हेलीकॉप्टर मिलेंगे।
आइए एक नजर डालते हैं अपाचे हेलीकॉप्टर से जुड़ी 10 खास बातों पर।
- एएच-64 दुनिया का सबसे एडवांस्ड मल्टीरोल कंबैट हेलीकॉप्टर है और इसका इस्तेमाल अमेरिकी सेना सहित कई अंतर्राष्ट्रीय रक्षा बलों की ओर से किया जाता है।
- एएच-64ई में सबसे आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है और इसकी बदौलत यह दुनिया का सबसे उम्दा हमलावर हेलीकॉप्टर बना हुआ है।
- अपाचे हेलीकॉप्टर को दो लोग मिलकर चलाते हैं। एक व्यक्ति हेलीकॉप्टर को उड़ाने का काम करता है जबकि दूसरा रॉकेट, मिसाइल और गोलियों को फायर करता है।
- यह हेलीकॉप्टर हेलफायर मिसाइल, रॉकेट और M230 की चैन गन से 30 mm की बुलेट्स फायर करने में सक्षम है। यह 365 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम है।
- अपाचे हेलीकॉप्टर दिन और रात दोनों समय अपने मिशन को अंजाम देने में सक्षम है। इसे इन्फ्रारेड सिस्टम और रडार सहित कई आधुनिक तकनीकों से लैस किया गया है।
- यह हेलीकॉप्टर कार्बन फाइबर जैसे हल्के मटीरियल्स से बनाया गया है और स्टेल्थ तकनीक से लैस होने की वजह से आसानी से रडार की पकड़ में नहीं आता है। इसके निचले हिस्से में मजबूती का खास ख्याल रखा गया है और यह हिस्सा हेलीकॉप्टर के लिए किसी ढाल की तरह काम करता है जो गोलियों को झेलने में सक्षम है।
- 30 सितंबर 1975 को इस हेलीकॉप्टर ने अपनी पहली उड़ान भरी थी और साल 1986 में पहली बार सैन्य सेवा में शामिल हुआ था।
- अमेरिका ने इराक पर हमले के दौरान 'ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म' के तहत दुश्मन देश के सभी रडार इसी हेलीकॉप्टर की मदद से तबाह कर दिए थे। इस युद्ध के दौरान अपाचे ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा था। अफगानिस्तान में भी तालिबान के खिलाफ युद्ध में इसका इस्तेमाल हुआ था।
- बोइंग ने अब तक दुनियाभर में अपने ग्राहकों को 2,200 अपाचे हेलीकॉप्टर दिए हैं। अपाचे का चयन करने वाला भारत दुनिया का 14वां देश है।
- पहाड़ी लड़ाईयों में हमलावर हेलीकॉप्टर एक बेहद अहम हथियार होता है और प्रभावी ढंग से दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने में सक्षम है। ऐसे में कारगिल जैसे किसी भी युद्ध की स्थिति में अपाचे भारत के लिए गेम चेंजर साबित होने का दम रखता है।