- सेना प्रमुख की वरिष्ठ अधिकारियों संग अहम बैठक
- चीन औऱ पाकिस्तान की सीमा पर मौजूदा हालात को लेकर चर्चा
- बुधवार को ही आस्ट्रेलिया के सेना प्रमुख से की थी जनरल नरवणे ने बात
नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे सहित भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारी और सेना के सभी कमांडर आज एक अहम बैठक कर रहे हैं। उत्तरी और पूर्वी कमान में नेतृत्व में हालिया बदलाव के मद्देनजर इस बैठक में चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर स्थिति की परिचालन समीक्षा की जा रही है। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे की उप सेना प्रमुख के रूप में यह पहली बैठक होगी, जबकि लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी उत्तरी सेना कमांडर के नए कमांडर बनाए जाने के बाद पहली बार बैठक में शामिल हो रहे हैं।
भारत और चीन पिछले लगभग दो वर्षों से सैन्य गतिरोध को सुलझाने में लगे हुए हैं और इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है और हाल ही में सेना प्रमुख ने स्पष्ट रूप से कहा था कि युद्ध की स्थिति में भारत विजयी होगा। सेना के शीर्ष अधिकारी आज बैठक में सैन्य सचिव की शाखा से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे।
हालात नहीं है सामान्य
बैठक के दौरान सेना कमांडनों को चीन सीमा की स्थित के बारे में जानकारी दी जाएगी तथा अन्य हालातों को लेकर भी चर्चा होगी। दरअसल 2020 में गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद ही भारत और चीन के हालात सामान्य नहीं है। इस झड़प में दोनों देशों के सैनिक शहीद हुए थे। इसके बाद से ही सीमा पर दोनों देशों ने अपने सैनिकों और हथियारों की तैनाती में वृद्धि कर रखी है। हालात को सामान्य बनाने के लिए अभी तक भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है।
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बुधवार को ही आस्ट्रेलिया के सेना प्रमुख से की थी बात
आपको बता दें कि सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने बुधवार को ऑस्ट्रेलियाई सेना के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रिक बर्र से फोन पर द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को लेकर बातचीत की। सेना ने ट्वीट किया, ‘जनरल एमएम नरवणे ने ऑस्ट्रेलियाई सेना के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रिक बर्र के साथ द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के मुद्दे पर चर्चा की।’ माना जा रहा है कि जनरल नरवणे और लेफ्टिनेंट जनरल बर्र ने दोनों सेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर विचार विमर्श किया। जून 2020 में दोनों देशों ने अपने संबंधों को और मजबूत करते हुए इसे व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदल दिया था।
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