- कोरोना वायरस के चलते पूरे भारत में निलंबित की गईं परिवहन सेवाएं
- 31 मार्च तक मेट्रो, बस और ट्रेन रहेगीं बंद, संक्रमण रोकने के लिए उठाया गया कदम
- लॉकडाउन की खबरों और अफवाहों के बीच रेलवे स्टेशन और बसों में बड़ रही थी भीड़
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के दुनिया में तेजी से बढ़ते प्रभाव और भविष्य में भारत के अंदर संभावित खतरे को देखते हुए तीन अहम परिवहन सेवाओं बस, ट्रेन और महानगरों में मेट्रो सेवा को 31 मार्च तक बंद करने का आदेश दिया गया है। अब परिवहन के यह अहम साधन नहीं चलेंगे और लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने से रोका जाएगा। लोगों की आवाजाही और लगातार एक दूसरे के संपर्क में आना कोरोना वायरस के फैलने का सबसे प्रमुख कारण है जिसकी वजह से लगातार इसके मामले बढ़ रहे हैं और अब तक 13 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं।
बीते दिन शनिवार को कार्यालय और अन्य सभी तरह के काम बंद किए जाने के बाद मुंबई और पुणे रेलवे स्टेशन पर लोगों की बड़ी भीड़ देखने को मिली थी। यह कामगर लोग थे महानगरों से वापस अपने गांव- शहर की ओर जा रहे थे। इस बीच इतनी बड़ी संख्या में लोगों को स्कैन भी नहीं किया जा सका और एक साथ बहुत ज्यादा लोगों की एक ही जगह पर मौजूदगी से संक्रमण का खतरा भी बढ़ता नजर आया। इसके एक दिन बाद रविवार को परिवहन सेवाओं को 31 मार्च तक बंद करने का फैसला लिया गया है।
प्रेस नोट में दी गई कई जानकारियां: रविवार को जारी एक प्रेस नोट के अनुसार, निर्णय सभी राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक में लिया गया। इस बीच मुख्य सचिवों ने पुष्टि की कि उन्हें 'जनता कर्फ्यू' के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान पर भारी प्रतिक्रिया मिल रही है। जिसका जिक्र प्रेस नोट में किया गया है।
इसमें यह भी कहा गया है कि बैठक के दौरान, राज्य सरकारों को उन 75 जिलों में केवल आवश्यक सेवाओं की अनुमति देने के लिए उचित आदेश देने की सलाह दी गई है, जहां COVID-19 मामले दर्ज किए गए हैं। यह उल्लेख किया गया था कि राज्य सरकारें स्थिति के आकलन के आधार पर सूची का विस्तार कर सकती हैं और कई राज्य सरकारों ने इस संबंध में पहले ही आदेश जारी कर दिए हैं।
75 जिलों में लॉक डाउन: इस बीच यह खबर भी सामने आई है कि 75 जिलों को लॉकडाउन करने का आदेश दिया गया है। यह वो 75 जिले हैं जहां कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस की वजह से अब तक दुनिया भर में 13 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और लगातार इसके संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। भारत में लगातार इसे सीमित किए जाने की कोशिशें केंद्र व राज्य सरकारों और प्रशासन की ओर से की जा रही हैं।