- त्रिपुरा में चुनाव से ठीक पहले उभर रहे हैं नए सियासी समीकरण
- बीजेपी के कुछ बागी नेताओं ने थाम लिया है कांग्रेस का दामन
- तृणमूल कांग्रेस कर रही है 2023 में सत्ता में आने का दावा
अगरतला: त्रिपुरा विधानसभा चुनाव होने में महज सालभर का समय रह जाने के बीच सत्तारूढ़ भाजपा के दो विधायकों के सदन से इस्तीफा देकर कांग्रेस के पाले में जाने से नया राजनीतिक समीकण उभर रहा है। ऐसा जान पड़ता है कि कभी राज्य में शासन कर चुकी सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है और ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का सपना देख रही भाजपा को वह चिढ़ाना चाहती है। इतना ही नहीं, उससे अलग होकर बनी तृणमूल कांग्रेस भी वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने का प्रयास करती दिख रही है।
टीएमसी की एंट्री
पश्चिम बंगाल में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा का हराकर तृणमूल कांग्रेस उत्साहित है और वरिष्ठ तृणमूल नेता अभिषेक बनर्जी ने पिछले साल दावा किया था कि उनकी पार्टी आगामी त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनायेगी। मेघालय, त्रिपुरा और अब गोवा में कांग्रेस के बागियों को अपने पाले में लाकर भाजपा के सामने असली विपक्षी होने का तृणमूल का दावा लगता है कि कम से कम त्रिपुरा में धराशायी होता जा रहा है। त्रिपुरा में कांग्रेस फिर से दमखम के साथ उठने लगी है।
बागी बीजेपी विधायक ने उठाई आवाज
ऐसी अटकलें थीं कि बागी भाजपा विधायक सुदीप रॉय बर्मन और उनके सहयोगी आशीष साहा भगवा धड़े से निकलकर तृणमूल कांग्रेस में जायेंगे, लेकिन इस्तीफा देने के बाद वे सीधा दिल्ली जाकर राहुल और प्रियंका गांधी से मिले और दोनों फिर से कांग्रेस पार्टी के साथ हो गये। सूत्रों ने बताया कि भाजपा के दो अन्य विधायकों ने भी राहुल और प्रियंका गांधी से भेंट की तथा कुछ महीने बाद कांग्रेस में शामिल होने में रुचि दिखाई। रॉय बर्मन ने अपनी पूर्व पार्टी पर भ्रष्टाचार और लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाया है।
सीपीआईएम की त्रिपुरा इकाई के सचिव जितेंद्र चौधरी ने कहा कि रॉय बर्मन का भाजपा छोड़ना उम्मीदों के विपरीत नहीं है। चौधरी ने दावा किया कि लोग अब राज्य में राजनीतिक बदलाव महसूस करने लगे हैं।