- पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब द प्रेसिडेंशियल ईयर्स के प्रकाशन पर विवाद
- बेटे अभिजीत मुखर्जी को बिना अनुमति प्रकाशन पर ऐतराज, बेटी शर्मिष्ठा बोलीं, सस्ती लोकप्रियता ना हासिल करे भाई
- द प्रेसिडेंशियल ईयर्स के कुछ अंश प्रकाशन से पहले ही हो चुके हैं सार्वजनिक
नई दिल्ली। दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी और उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी में विवाद गहरा गया है। विवाद के केंद्र में प्रणब मुखर्जी द्वारी लिखी गई किताब 'The Presidentail Years' को लेकर है। दरअसल एक तरफ बेटे अभिजीत मुखर्जी का कहना है कि बिना उनकी लिखित अनुमति के रूपा पब्लिकेशन किताब को प्रकाशित करने से बचे तो उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी का कहना है कि उनके भाई को सस्ती लोकप्रियता से बचना चाहिए। अब दोनों लोगों की क्या दलील है जिसके बारे में हम बताएंगे।
क्या कहना है अभिजीत मुखर्जी का
अभिजीत मुखर्जी का कहना है कि उनके पिता इस दुनिया में नहीं हैं। ऐसे में उनका पुत्र होने के कारण वो पुस्तक की सामग्री का अध्ययन करना चाहते हैं क्योंकि उनका मानना है कि अगर उनके पिता जीवित होते तो वह भी ऐसा ही करते।पूर्व कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘ऐसे में वो प्रकाश से आग्रह करते हैं कि जब तक वो इसका अध्ययन नहीं कर लेते, तब तक आप लोग मेरी लिखित सहमति के बिना इस पुस्तक का प्रकाशन तत्काल रोकिए। मैं इस बारे में आप लोगों को पहले ही विस्तृत पत्र भेज चुका हूं।
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने क्या कहा
अपने भाई के ट्वीट का जवाब देते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि मैं संस्मरण के लेखक की पुत्री के तौर पर अपने भाई अभिजीत मुखर्जी से आग्रह करती हूं कि वह पिता द्वारा लिखी गई अंतिम पुस्तक के प्रकाशन में अनावश्यक अवरोध पैदा नहीं करें। वह (मुखर्जी) बीमार होने से पहले ही इसे पूरा लिख चुके थे। उन्होंने यह भी कहा कि पुस्तक के साथ मेरे पिता के हाथों से लिखा हुआ नोट और टिप्पणियां हैं जिनका पूरी सख्ती से अनुसरण किया गया है। उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचार उनके अपने हैं और किसी को सस्ते प्रचार के लिए इसे प्रकाशित कराने से रोकने का प्रयास नहीं करना चाहिए। यह हमारे दिवंगत पिता के लिए सबसे बड़ा अन्याय होगा।’’
पुस्तक के कुछ सार्वजनिक हुए
सार्वजनिक हुए अंशों के अनुसार, इसमें मुखर्जी ने लिखा है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस राजनीतिक दिशा से भटक गई और कुछ पार्टी सदस्यों का यह मानना था कि अगर 2004 में वह प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए करारी हार वाली नौबत नहीं आती। मुखर्जी अपने निधन से पहले संस्मरण 'द प्रेसिडेंशियल ईयर्स' को लिख चुके थे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)