- श्रीनिवास-DP की नूरा-कुश्ती का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
- पुलिस वाले कांग्रेस नेता को कार के भीतर बैठालना चाहते थे, मगर...
- लोग बोले- नाटक कर रहे थे, धक्का मार रहे थे तो पुलिस क्या करे?
दिल्ली में कांग्रेसियों के प्रदर्शन के दौरान मंगलवार (26 जुलाई, 2022) को कांग्रेस के नेता श्रीनिवास बीवाई से पुलिस ने कथित तौर पर बदसलूकी की। पुलिस वालों ने इस दौरान उनके बाल नोंचे, उन्हें धकेला और फिर बाद में कार में कैद कर लिया। घटना से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया तो लोग इसे देखते हुए तरह-तरह के कमेंट्स करने लगे। इस बीच, कई लोग उनके और अन्य कांग्रेसियों के मजे लेते हुए बोले कि शुक्र मनाइए कि पृष्ठपटल सुर्ख (चेहरे पर पिटाई) नहीं किया गया।
दरअसल, समाचार एजेंसी एएनआई ने एक मिनट 33 सेकेंड की वीडियो क्लिप को टि्वटर पर जारी किया है, जिसमें श्रीनिवास का आधा शरीर गाड़ी में था, जबकि सिर बाहर था। पुलिस वाले उनके बाल नोचते-खीचते दिख रहे थे। वह जोर-जोर से चिल्लाते हुए विरोध कर रहे थे। नूरा-कुश्ती के दौरान जवान उन्हें किसी भी तरह गाड़ी के भीतर बंद कर शांत कराना चाहते थे।
टि्वटर पर लोग इस वीडियो को देखने के बाद @SanggitaT के हैंडल से कहा गया कि दिल्ली पुलिस पर गर्व है। अभी तक उन्होंने (श्रीनिवास ने) BV का फुल फॉर्म नहीं बताया है। @DalipPancholi ने कहा, "अपना चेहरा चमकाने के लिए जैसी यह हरकतें कर रहे हैं, शुक्र मनाएं कि पुलिस ने इनका पृष्ठपटल सुर्ख नहीं किया।" @MonaPatelT ने कहा कि श्रीनिवास को पार्टी ने मार खाने के लिए रखा है।
@DrAnuradhaSing3 के हैंडल से कहा गया, "अब वफादारी दिखाने के लिए थोड़ा तो सहन करना ही पड़ेगा न।" @LkChahar बोले कि श्रीनिवास गाड़ी में बैठ नहीं रहे थे। बार-बार बोलने पर भी नाटक कर रहे थे। उल्टा पुलिस को धक्का मार रहे थे! तो पुलिस क्या करे?
यह मामला मंगलवार को दिल्ली में हुए कांग्रेस के प्रदर्शन के दौरान का है। ‘नेशनल हेराल्ड’ से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में पार्टी की अंतरिम चीफ सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के खिलाफ कांग्रेसियों ने मार्च निकाला था। राहुल गांधी ने इसकी अगुवाई की थी।
हालांकि, राहुल समेत कई सीनियर नेताओं और सांसदों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। ईडी एक्शन को कांग्रेस ने राजनीतिक द्वेष की भावना से की गई कार्रवाई बताया। कहा- ‘सत्य ही इस तानाशाही का अंत करेगा।’ कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी और अन्य नेताओं को करीब सात घंटे तक हिरासत में रखने के बाद रिहा किया गया।