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उज्जैन : 40 हेक्टेयर में विस्तार ले रहा है महाकाल का भव्य कॉरिडोर, 11 अक्टूबर को PM करेंगे पहले चरण का लोकार्पण

Updated Sep 22, 2022 | 17:45 IST

Mahakal corridor: काशी विश्वनाथ मंदिर से चार गुना बड़ा  महाकाल कॉरिडोर अपने आप में बेहद खास है।  इस विशाल क्षेत्र में भगवान शिव के अलग-अलग रूप के दर्शन आसानी से होंगे। इसके अतिरिक्त शिव तांडव स्त्रोत से लेकर शिव-विवाह और अन्य प्रसंगों को भी बड़ी खूबसूरती से तराशा गया है।

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उज्जैन में बन रहा महाकाल कॉरिडोर।

Mahakal corridor : मध्य प्रदेश को चीतों की सौगात देने के बाद अब 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में बन रहे भव्य कॉरिडोर के पहले चरण में हुए विकास कार्यों का लोकार्पण करेंगे। काशी से चार गुना बड़े उज्जैन के महाकालेश्वर कॉरिडोर पर दुनियाभर की  निगाहें  लगी  हैं। दोनो चरणों में 750 करोड़ से अधिक की लागत से बन रहे महाकालेश्वर कॉरिडोर के पहले चरण में रुद्रसागर के पास कॉरिडोर विकसित किया गया है। इस परियोजना के तहत काम पूर्ण होने के बाद महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों को सर्वसुविधायुक्त महाकाल पथ से सुगमता से दर्शन हो सकेंगे। इस परियोजना के दोनो चरणों का काम पूर्ण होने के बाद महाकाल मंदिर का विस्तार 40 हेक्टेयर ( 17 हेक्टेयर रूद्रसागर के साथ) हो जायेगा। पहले चरण के जिन विकास कार्यों को पीएम मोदी उद्घाटन करने वाले हैं उसमें कॉरिडोर में नक्काशी और लाइटिंग इसे आकर्षक बनाती है।  इस  क्षेत्र में शिव और पार्वती के विभिन्न स्वरूपों की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं।  इसके अलावा देश का पहला नाईट गार्डन भी बनाया गया है।

भव्य स्वरू लिए हुए है महाकाल कॉरिडोर
काशी विश्वनाथ मंदिर से चार गुना बड़ा  महाकाल कॉरिडोर अपने आप में बेहद खास है।  इस विशाल क्षेत्र में भगवान शिव के अलग-अलग रूप के दर्शन आसानी से होंगे। इसके अतिरिक्त शिव तांडव स्त्रोत से लेकर शिव-विवाह और अन्य प्रसंगों को भी बड़ी खूबसूरती से तराशा गया है। इसमें महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, प्रवचन हॉल, नूतन स्कूल परिसर, गणेश विद्यालय परिसर, रूद्रसागर तट विकास, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला और पार्किंग सुविधाओं  के  विकास  पर ध्यान केंद्रित किया गया है । इस मंदिर को चारों तरफ से खुला बनाया जा रहा है। इसके आसपास आने वाले  भवनों को भी हटाया  गया है ताकि  यहाँ आने वाले भक्तजन  मंदिर आसानी   के दर्शन कर सकें। प्रोजेक्ट पूरा होने पर हर घंटे एक लाख श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।

पहले चरण में 310 करोड़ के हुये विकास काम
उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में लाखों-करोड़ो श्रद्धालु हर साल बाबा महाकाल का आशीर्वाद लेने आते हैं। ऐसे में सभी भक्तों को सुगमता से महाकाल के दर्शनों का लाभ मिले इसलिए स्वागत संकुल क्षेत्र को विकसित किया गया है जिसमें एक समय में लगभग 20 हजार श्रद्धालुओं को समाहित करने की क्षमता है। यहां रुद्रसागर सरोवर दर्शन दीर्घा, शिव स्तंभ, सप्तर्षि स्थल, गणेश मूर्ति एवं मुक्ताकाश मंच बनाए गए हैं। इसके बाद नंदी द्वार से लगभग 900 मीटर लंबे खुले गलियारे में पत्थर की दीवार तैयार की गई है जिसमें शिवपुराण के प्रसंगों का वर्णन है। इसके साथ ही 17 हेक्टेयर के बड़े रूद्रसागर तालाब को सीवर मुक्त करके क्षिप्रा नदी से पानी लेने के लिए पाईप लाइन का निर्माण किया गया है। 

400 कार क्षमता वाली सरफेस पार्किंग
पहले चरण में महाकालेश्वर मंदिर के कॉरिडोर में हुए विकास कार्यों में एक तरफ जहां दर्शनार्थियों को सुलभता से दर्शन कराने की व्यवस्था की गई है तो वहीं अन्य सुविधाओं पर भी ध्यान दिया गया है। कॉरिडोर में 128 दुकानों का निर्माण भी किया गया है जिसमें स्वल्पाहार और हस्तकला की सामाग्री रखी जाएगी। इसके अलावा 400 कार क्षमता युक्त सरफेस पार्किंग जिसमें 400 किलो वाट विद्युत उत्पादन क्षमता के सोलर सिस्टम से परिसर की अधिकांश विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था होगी। इसके अलावा सारी सुविधाओं वाला हाई कमांड एंड कंट्रोल सेंटर और निगरानी केन्द्र बनाया गया है।  

750 करोड़ की लागत से बन रहा है यह कॉरिडोर
महाकाल कॉरिडोर का पूरा प्रोजेक्ट 750 करोड़ का है, जिसमें 422 करोड़ रुपए प्रदेश सरकार, 21 करोड़ मंदिर समिति और बाकी का पैसा केंद्र सरकार ने दिया है। यह प्रोजेक्ट में महाकाल मंदिर का परिसर 2 हेक्टेयर से बढ़कर 40 हेक्टेयर किया जा रहा है जिसमें 17 हेक्टेयर का रुद्रसागर भी शामिल है। दूसरे चरण में महाराजवाड़ा परिसर विकास, रुद्रसागर जीर्णोद्धार ,छोटा रूद्र सागर तट, रामघाट का सौंदर्यकरण, पार्किंग एवं पर्यटन सूचना केंद्र, हरी फाटक पुल का चौड़ीकरण, रेलवे अंडरपास, रुद्रसागर पर पैदल पुल, महाकाल द्वार एवं प्राचीन मार्ग बेगम बाग मार्ग का विकास होगा।

श्रद्धालुओं को सुगमता से होंगे दर्शन
नए प्रोजेक्ट के पूरा होने पर श्रद्धालु चौड़ी सड़कों से होकर महाकाल कॉरिडोर तक अब आसानी से  पहुंच जाएंगे।  मंदिर परिसर  में पर्यावरण को ध्यान में रखकर छायादार पेड़ लगाए जा रहे हैं। महाकाल कॉरिडोर तक पहुंचने के लिए अब जहाँ  दो पैदल मार्ग भी होंगे वहीँ एक ई-रिक्शा के लिए भी अलग से लेन तैयार की गई  है। इसके जरिए बुजुर्ग श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने में  बहुत आसानी होगी। कॉरिडोर में  सुविधा  केंद्र भी बना  है, जिसमें  जूते स्टैंड, वेटिंग रूम, रेस्टोरेंट्स, पेयजल, टिकट घर,रुकने के साथ ही कई सुविधाएं यात्रियों के लिए हो रही है।

करिडोर में शिवगाथा  के साथ  भारतीय कला एवं संस्कृति की झलक दिखाने की बेहतर कोशिशें  प्रदेश सरकार के प्रयासों से हुई हैं।  मंदिर परिसर में लगने वाले काउंटर को भी  परंपरागत पहचान दी गई है जिसमें देवी-देवताओं के  भित्तिचित्र, सप्तत्रषियों और नवग्रहों की मूर्तियां शामिल हैं।  

पहले चरण के काम से संतुष्ट नजर आये मुख्यमंत्री शिवराज  
महाकाल कॉरिडोर के पहले चरण के कार्यों का निरीक्षण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया और वो काम  से संतुष्ट नजर आये। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि महाकालेश्वर कॉरिडोर का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये। उज्जैन दर्शन के लिये देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालु यहाँ से उनके मन में भगवान महाकालेश्वर और मंदिर के कॉरिडोर की अमिट छाप लेकर जायें।  जिससे महाकालेश्वर कॉरिडोर के उद्घाटन के पूर्व सभी को यहाँ की विशेषता के बारे में जानकारी मिल सके। 

जनभागीदारी से बनेगा अविस्मरणीय उत्सव  
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है महाकाल मंदिर परिसर का लोकार्पण प्रधानमंत्री  मोदी के कर कमलों से होगा जो इस सदी की महत्वपूर्ण घटना होगी।  मुख्यमंत्री  चौहान ने  निवास पर प्रधानमंत्री मोदी के महाकाल मंदिर भ्रमण की तैयारियों की समीक्षा भी की  और उज्जैन कलेक्टर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग  के माध्यम से  जानकारी ली।  उन्होंने कार्यक्रम  को अविस्मरणीय उत्सव का रूप देने के लिए प्रतिष्ठित कलाकारों की भागीदारी पर भी जोर दिया। मुख्यमंत्री  चौहान ने कहा  धार्मिक परम्पराओं और मान्यताओं को ध्यान में रख कर महाकाल मंदिर परिसर के लोकार्पण की तैयारी हो। मुख्यमंत्री चौहान ने  कार्यक्रम को भव्य  रूप देने के लिए  प्रमुख पुजारियों  और संतों से भी सुझाव लेकर  बैठक आयोजित करने की बात भी कही।

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