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भारत में नवंबर में ही आ गया था कोविड-19 का नया स्‍ट्रेन! कितनी कारगर होगी वैक्‍सीन?

Updated Dec 31, 2020 | 10:27 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Covid 19 new strain India: कोविड-19 के नए स्‍ट्रेन के सामने आने के बाद इसे लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस भारत में दिसंबर से पहले ही पहुंच गया था।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
भारत में नवंबर में ही आ गया था कोविड-19 का नया स्‍ट्रेन! कितना कारगर होगा वैक्‍सीन?

नई दिल्‍ली : ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया स्‍ट्रेन मिलने के बाद दुनियाभर में इस महामारी को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं, जिसे 70 गुना अधिक संक्रामक बताया जा रहा है। भारत में भी कोविड-19 के इस नए स्‍ट्रेन के 20 मामले सामने आए हैं, जिसके बाद यहां भी इसे लेकर चिंता जताई जा रही है। इस बीच दिल्‍ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (AIIMS) के डायरेक्‍टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि संभव है कि यहां कोविड-19 का वह स्‍ट्रेन नवंबर में ही पहुंच गया हो।

उन्‍होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के इस स्‍ट्रेन के बारे में पता सितंबर में ही चल गय था, जिसे लेकर वैश्विक चेतावनी दिसंबर के आखिर में आई है। इस बीच ब्रिटेन और भारत के बीच फ्लाइट्स की आवाजाही जारी रही थी और ऐसे में संभव है कि यह स्‍ट्रेन नंवबर या दिसंबर की शुरुआत में ही भारत में पहुंच गया हो। हालांकि इस संबंध में अभी और शोध हो रहे हैं और आंकड़ों के उजागर होने के बाद ही इस बारे में कुछ भी साफ-साफ कहा जा सकेगा।

सतर्कता है जरूरी

उन्‍होंने माना कि कोविड-19 का यह नया स्‍ट्रेन अधिक संक्रामक और इसलिए चिंता का कारण है। उन्‍होंने कहा, यह ठीक है कि भारत में अभी इसके बहुत मामले नहीं हैं, लेकिन इसे लेकर अतिरिक्‍त सतर्कता बरतने की आवश्‍यकता है। पिछले चार से छह सप्‍ताह के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्‍होंने कहा कि कोविड-19 का यह नया स्‍ट्रेन तेजी से संक्रमण फैलाता है, जिसका सीधा मतलब है अधिक से अधिक लोगों का इससे संक्रमित होना। लेकिन बीते चार से छह हफ्तों में जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे जाहिर होता है कि यहां संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं। हालांकि इसे लेकर विशेष सतर्कता बरतने की आवश्‍यकता है, ताकि यह तेजी से न फैले।

इस बीच ऐसी चिंताएं भी पनप रही हैं कि कोविड-19 का जो नया स्‍ट्रेन सामने आया है, उस पर उन तमाम वैक्‍सीन का असर होगा या नहीं, जिनका विकास दुनियाभर में वैज्ञानिक और फार्मा कंपनियां मिलकर कर रही हैं। डॉ. गुलेरिया के मुताबिक, वैक्‍सीन एंटीबॉडी बनाने का काम करेंगे और इसका असर कोविड-19 के इस नए स्‍ट्रेन पर भी होगा। उन्‍होंने कहा कि कोविड-19 के स्‍ट्रेन में यह बदलाव कोई नई चीज नहीं है। पिछले 10 महीनों में कई देशों में कोविड-19 के स्‍ट्रेन में बदलाव दर्ज किए गए हैं।

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