- जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को जमानत देने से अदालत का इनकार
- आरोपी ने अदालत से कहा था कि अभियोजन पक्ष के पास है सूबतों का अभाव
- फरवरी 2020 में हुई हिंसा के दौरान मारे गए थे काफी लोग
नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने आज जेएनयू के पूर्व छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद को 2020 की पूर्वोत्तर दिल्ली हिंसा से संबंधित "बड़ी साजिश" के मामले में जमानत देने से इंकार कर दिया है। उन्हें 14 सितंबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने 3 मार्च को खालिद और अभियोजन पक्ष के वकील की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।
सूबतों का अभाव
सुनवाई के दौरान आरोपी ने अदालत से कहा था कि अभियोजन पक्ष के पास उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सबूतों का अभाव है। खालिद और कई अन्य लोगों के खिलाफ फरवरी 2020 के दंगों के सिलसिले में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है। दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे। फरवरी 2020 में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी।
इन लोगों के खिलाफ भी दर्ज हुआ केस
खालिद के अलावा, कार्यकर्ता खालिद सैफी, जेएनयू छात्रा नताशा नरवाल व देवांगना कालिता, जामिया समन्वय समिति की सदस्य सफूरा जरगर, आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन और कई अन्य लोगों के खिलाफ भी यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था।