केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 के अनुकूलन को मंजूरी दे दी है, इस बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस कदम से देश के अन्य हिस्सों की तरह सभी तीन स्तरीय जमीनी स्तर के लोकतंत्र की स्थापना में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में विधायकों की गैर मौजूदगी में स्थानीय निकायों को मजबूत बनाने के लिए पंचायती राज कानून में संशोधन किया है।
इसके तहत हर जिले में विकास कार्य करने के लिए नया ढांचा बनाया जाएगा और इसे सीधे मतदाताओं द्वारा चुना जाएगा। जिला विकास परिषद (डीडीसी) में 14 क्षेत्र होंगे और सभी में एक प्रत्यक्ष निर्वाचित सदस्य होगा। कुछ सीटें एससी, एसटी और महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
जम्मू कश्मीर पंचायती राज कानून, 1989 में संशोधन के लिए केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले के एक साल बाद आदेश जारी किया था इसके साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन प्रक्रिया की भी घोषणा की थी। परिसीमन आयोग की स्थापना मार्च में की गई थी और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना देसाई को इसका प्रमुख बनाया गया था।
मंत्रालय के मुताबिक, ताजा फैसला यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि हर क्षेत्र में लोगों की और अधिक भागीदारी के साथ विकास हो। जो काम पहले विधानसभा के निर्वाचित प्रतिनिधि करते थे। जब तक परिसीमन आयोग रिपोर्ट नहीं देता और चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं कराता है तब तक यह मददगार हो सकता है। आदेश के मुताबिक, प्रत्येक डीडीसी में क्षेत्रीय विधानसभा से सीधे तौर पर निर्वाचित सदस्यों को शामिल किया जाएगा। चुनाव होने के बाद जिले के विधायक भी इसके सदस्य होंगे।
कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज कानून,1989 में संशोधन को लेकर साधा निशाना
वहीं कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई ने रविवार को जम्मू-कश्मीर पंचायती राज कानून,1989 में संशोधन को लेकर भाजपा पर निधाना साधा था और इसे केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभा चुनाव में और देरी करने का प्रयास करार दिया। प्रदेश कांग्रेस समिति के मुख्य प्रवक्ता ने कहा था, ' भाजपा विधानसभा चुनाव में लोगों का सामना नहीं करना चाहती क्योंकि उन्हें अपने जनविरोधी फैसलों और नीतियों के खिलाफ होने वाली प्रतिक्रिया की आशंका है जोकि लोगों को उनकी पहचान और नौकरियों एवं जमीन के विशेष अधिकारों से वंचित करता है।'