नई दिल्ली : केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एससी/एसटी आरक्षण के विस्तार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसे 25 जनवरी को समाप्त होना था, इसे अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है। मोदी कैबिनेट ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में SC और ST के आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सूत्रों ने कहा कि सरकार इस सत्र में आरक्षण बढ़ाने के लिए एक बिल लाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने समझाया कि विधायिका में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण संवैधानिक संशोधनों के माध्यम से किया जाता है, इन कटैगरी के लिए नौकरियों में समान आरक्षण संबंधित राज्य सरकारों द्वारा तय किया जाता है।
बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया की जानकारी दी। पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इन कटैगरी के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2020 को समाप्त होने वाली थी। सरकार आरक्षण की मियाद बढ़ाने के लिए इस सत्र में एक विधेयक लाएगी। बिल को मंजूरी के बाद लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण की अवधि बढ़कर 25 जनवरी 2030 तक हो जाएगी।
एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि विधायिका में एससी और एसटी के लिए आरक्षण संवैधानिक संशोधनों के जरिए किया जाता है जबकि इन श्रेणियों के लिए नौकरियों में इस तरह का आरक्षण देने का फैसला संबंधित राज्य सरकारें करती हैं।
सूत्रों ने बताया कि एंग्लो इंडियन समुदाय को अभी आरक्षण की इस व्यवस्था से बाहर रखा गया है। अगर बाद में जरूरत महसूस हुई तब इस पर फिर से विचार किया जाएगा।
बिल में एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रावधान के बारे में पूछे जाने पर जावड़ेकर ने हालांकि कोई स्पष्ट जवाब न देते हुए कहा कि विधेयक पेश होने के बाद इसका ब्यौरा मिल जाएगा।
मंत्री ने बताया कि संसद में अनुसूचित जाति के 84 सदस्य और अनुसूचित जनजाति के 47 सदस्य हैं। भारत में विधानसभाओं में अनुसूचित जाति के 614 सदस्य और अनुसूचित जनजाति के 554 सदस्य हैं।