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माता-पिता से अपनी शादी का खर्च मांग सकती हैं अविवाहित बेटियां, छत्तीसगढ़ HC का फैसला

Unmarried daughters can ask parents for their marriage expenses, Chhattisgarh HC's order
Updated Mar 31, 2022 | 09:18 IST

Chhattisgarh HC : भिलाई स्टील प्लांट में काम करने वाले भानू राम सेवा से रिटायर होने वाले हैं। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें करीब 55 लाख रुपए मिलने हैं। इस रकम को लेकर भानू राम की बेटी राजेश्वरी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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Unmarried daughters can ask parents for their marriage expenses, Chhattisgarh HC's orderUnmarried daughters can ask parents for their marriage expenses, Chhattisgarh HC's order
भिलाई स्टील प्लांट में काम करते हैं लड़की के पिता।
मुख्य बातें
  • बेटियों की शादी के खर्चे पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है
  • हाई कोर्ट ने कहा है कि माता-पिता से अपनी शादी का खर्च मांग सकती है बेटियां
  • एक लड़की ने रिटायर होने के बाद अपने पिता को मिलने वाली राशि पर दावा किया है

रायपुर : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अविवाहित बेटियां अपनी शादी में होने वाले खर्च का दावा माता-पिता से कर सकती हैं। कोर्ट ने अपने फैसले में 'हिंदू अडॉप्शन एंड मेंटिनेंस एक्ट' 1956 का हवाला दिया है। दुर्ग फैमिली कोर्ट के एक फैसले को खारिज करते हुए जस्टिस गौतम भादुड़ी एवं जस्टिस संजय एस अग्रवाल की पीठ ने दोनों पक्षों को फैमिली कोर्ट के सामने पेश होने के लिए कहा है। हाई कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए वापस फैमिली कोर्ट में भेजा है। इस केस पर सुनवाई अब 25 अप्रैल को होगी।

भिलाई स्टील प्लांट में काम करते हैं लड़की के पिता
भिलाई स्टील प्लांट में काम करने वाले भानू राम सेवा से रिटायर होने वाले हैं। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें करीब 55 लाख रुपए मिलने हैं। इस रकम को लेकर भानू राम की बेटी राजेश्वरी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राजेश्वरी ने कोर्ट से मांग की है कि वह भिलाई स्टील प्लांट को उसके पिता की कुल रकम में से 20 लाख रुपए उसे देने का निर्देश जारी करे। 

बेटी के दावे पर कोर्ट भी इंकार नहीं कर सकता
हाई कोर्ट ने 'हिंदू अडॉप्शन एंड मेंटिनेंस एक्ट 1956' की धारा 20 का हवाला देते हुए कहा कि बच्चों एवं बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी तय की गई है। कोर्ट ने कहा कि 'इस अधिकार में बेटी की शादी में होने वाला वाजिब खर्च भी शामिल है। ऐसे में शादी के लिए खर्च के दावे का अधिकार बनता है। अविवाहित बेटियां अगर माता-पिता से अपनी शादी के खर्च का दावा करती हैं तो उसे कोर्ट भी नकार नहीं सकता।'

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