- कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब एवं भगवा शॉल पहनने पर रोक लगी हुई है
- अब इसी तरह का फरमान अलगीढ़ के डीएस कॉलेज ने जारी किया है
- कॉलेज ने कहा है कि यूनिफॉर्म पहने छात्रों को ही परिसर में आने दिया जाएगा
Aligarh News : कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पहनने पर लगी रोक पर जहां हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है और इस पर अदालत का फैसला आना है। वहीं, उत्तर प्रदेश के एक महाविद्यालय ने यूनिफॉर्म पहनने पर सख्ती दिखाते हुए सर्कुलर जारी कर दिया है। महाविद्यालय का कहना है कि वह अपने यहां निर्धारित यूनिफॉर्म पहने छात्र-छात्राओं को ही महाविद्यालय में प्रवेश की अनुमति देगा। प्राचार्य ने कहा है कि भगवा शाल अथवा हिजाब पहने छात्र-छात्राओं को विद्यालय परिसर में दाखिल होने की इजाजत नहीं होगी। समझा जाता है कि महाविद्यालय के इस फैसले पर विवाद बढ़ सकता है।
अलीगढ़ के डीएस कॉलेज ने जारी किया निर्देश
यूनिफॉर्म पर यह निर्देश अलीगढ़ के डीएस कॉलेज ने जारी किया है। निर्देश में छात्रों को निर्धारित यूनिफॉर्म पहनकर ही महाविद्यालय आने के लिए कहा गया है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर राज कुमार वर्मा ने कहा, 'हम चेहरे ढंक कर महाविद्यालय आने वाले छात्र-छात्राओं को परिसर में दाखिल होने की इजाजत नहीं देंगे। कॉलेज परिसर में उन्हें भगवा शाल अथवा हिजाब पहनने की इजाजत नहीं होगी।' कॉलेज के इस रोक पर विवाद शुरू हो सकता है।
कर्नाटक से शुरू हुआ है हिजाब पर विवाद
स्कूलों में हिजाब पहनने पर विवाद कर्नाटक से शुरू हुआ है। कर्नाटक सरकार ने स्कूलों में हिजाब पहनने पर रोक लगाई है। राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम छात्राओं ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। छात्राओं कीअपील पर कर्नाटक हाई कोर्ट की बड़ी बेंच पिछले कई दिनों से सुनवाई कर रही है। हाई कोर्ट ने हालांकि, अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि फैसला आने तक स्कूलों में किसी भी तरह के धार्मिक कपड़े एवं चिन्ह पहनकर आने पर रोक रहेगी।
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यूपी में बढ़ सकता है विवाद
अलीगढ़ का डीएस कॉलेज यूपी का पहला संस्थान है जिसने भगवा शाल एवं हिजाब पहनकर विद्यालय आने पर रोक लगाई है। यहां भी छात्र-छात्राएं स्कूल के इस फैसले का विरोध कर सकते हैं और विवाद तूल पकड़ सकता है। हिजाब विवाद पर देश में यह बहस भी छिड़ी है कि स्कूलों में हिजाब पहनकर आना चाहिए या नहीं। इस पर लोगों के बीच राय अलग-अलग है। कई मुस्लिम विद्वानों की राय है कि हिजाब इस्लाम का अहम हिस्सा है जबकि कुछ तर्क देते हैं कि हिजाब गैर-जरूरी है।