लखनऊ : उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना नदी में शव नजर आने के बाद लोगों में दहशत फैल गई और यह संदेह भी जताया गया कि यह कोविड-19 से जान गंवाने वालों की लाशें हैं। हालांकि, सोमवार को जिला प्रशासन के अधिकारियों ने इस दावे को खारिज कर दिया। हमीरपुर के जिलाधिकारी ज्ञानेश्वर त्रिपाठी ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, ‘लोगों से बातचीत तथा शव को देखने से प्रथम दृष्टया ये कोरोना वायरस से हुई मृत्यु से संबंधित नहीं पाए गये, क्योंकि शव के ऊपर सामान्य परंपरागत शवों के कपड़े थे और किसी भी शव पर कोरोना से मृत्यु होने पर की जाने वाली पैकिंग नहीं थी।’ उन्होंने कहा कि सभी शवों को सम्मानजनक तरीके से निस्तारित करा दिया गया है।
प्रशासन ने माना-नदी में बहते हुए मिले शव
जिलाधिकारी ने कहा कि छह मई को हमीरपुर में यमुना नदी पुल के नीचे शव मिलने की सूचना प्राप्त हुई थी, जिसके संबंध में प्रभारी निरीक्षक कोतवाली एवं नायब तहसीलदार (सदर तहसील), हमीरपुर द्वारा मौके का निरीक्षण किया गया। मौके पर चार शव बहते हुए पाये गये थे तथा एक शव किनारे अधजला पड़ा था। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान स्थानीय लोगों ने बताया कि ये शव यमुना नदी के घाट पर लोगों द्वारा अपने परिजनों की मृत्यु के उपरांत जल में प्रवाहित (नदी में विसर्जित) कर देने के कारण दिख रहे हैं।
पानी कम होने से शव ऊपर आए
अधिकारियों को स्थानीय मछुआरों ने बताया कि मृतकों को परिजन पत्थर आदि बांधकर नदी में डाल देते हैं और पानी कम होने के कारण शव ऊपर आ गए हैं तथा कुछ शव पूर्ण रूप से जला ना होने पर भी पानी में डाल दे रहे हैं। स्थानीय लोगों के द्वारा यह भी बताया गया कि वर्तमान में पंचक नक्षत्र चल रहा है, इस दौरान परंपरा के अनुसार लोग अधिकतर शव का दाह संस्कार न करके जल में प्रवाहित करते हैं।
घाट पर कड़ी नजर रखी जा रही
उन्होंने कहा कि इस संबंध में पड़ोसी कानपुर जिले को भी सूचित कर दिया गया है कि आवश्यक वैधानिक कार्रवाई करें तथा घाट पर पुलिस बल लगाकर कड़ी नजर रखी जा रही है। हमीरपुर के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र कुमार सिंह ने बातचीत में स्वीकार किया कि कुछ स्थानीय निवासियों ने यमुना नदी में बहते हुए शवों को देखा था। सिंह ने कहा कि ''पांच शव थे जिनमें से एक शव आंशिक रूप से जल गया था। शवों को दाह संस्कार के लिए नगर निकाय को सौंप दिया गया।''