पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है और भारत भी इस संकट से अछूता नहीं रहा। लॉकडाउन के बावजूद देश में संक्रमण फैलता जा रहा है। केंद्र सरकार और हर प्रदेश सरकार कोरोना का डटकर मुकाबला कर रही हैं। इस दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी की पूरी मशीनरी कोरोना को खत्म करने की जिस जिद से लड़ रही है, उसकी चर्चा हर तरफ हो रही है। योगी आदित्यनाथ पिता के निधन के बावजूद उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने की बजाय राजधर्म निभाते हुए 23 करोड़ जनता की सुरक्षा में मुस्तैदी से खड़े हैं। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा है- विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, कांटों में राह बनाते हैं। आज यह पंक्तियां यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सटीक बैठती हैं। एक तरफ पिता की देहावसान और दूसरी तरफ वह कोविड-19 की समीक्षा बैठक कर रहे थे। एक तरफ पिता की चिता जल रही थी और दूसरी तरफ वह दूसरे राज्यों में फंसे हजारों मजदूरों को सुरक्षित प्रदेश लाने की योजना बना रहे थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने इस कदम से यह प्रदर्शित किया कि उनके लिए प्रदेश का एक एक नागरिक सर्वोपरि, चाहे वह किसी जाति या धर्म का हो। एक तरफ सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य में कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने की चुनौती और दूसरी तरफ लॉकडाउन की वजह से प्रभावित हुए लोगों की हर तरीके से सुरक्षा करना, दोनों ही मोर्चे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद को साबित किया है। राजस्थान के कोटा में फंसे 10 हजार छात्रों को 300 बसों के माध्यम से उनके गृह जनपद पहुंचाने की व्यवस्था करनी हो या दूसरे राज्यों में फंसे 12 हजार मजदूरों को अपने प्रदेश लाना हो, योगी आदित्यनाथ ने साबित कर दिया कि वह 'सबकी सुरक्षा-सबका ख्याल' के मंत्र पर काम कर रहे हैं। कोरोना की लड़ाई में कई राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश बेहतर स्थिति में है।
प्रयागराज में फंसे छात्रों की मदद: कोटा के बाद शिक्षा के हब प्रयागराज में भी 10 हजार ऐसे छात्र थे जो लॉकडाउन से पहले अपने घर नहीं पहुंचे। इन छात्रों को घर पहुंचाने की व्यवस्था भी योगी सरकार ने की। करीब 10 हजार छात्रों को 300 बसों से उनके गृह जनपद तक पहुंचाने के निर्देश दिए। बसों के माध्यम से चाहे छात्रों को वापस लाना हो या मजदूरों को, योगी सरकार के इस मॉडल का बाकी राज्यों ने भी अनुसरण किया।
15 लाख मजदूरों को रोजगार: दूसरे प्रदेशों से लौटे 15 लाख श्रामिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की पूरी योजना भी योगी सरकार ने बनाई। सरकार ने शहरों से लौटे ग्रामीणों को मनरेगा के तहत तत्कात जाबकार्ड भी मुहैया कराने के निर्देश दिए, साथ ही कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन के कारण प्रदेश के युवाओं के सामने रोजगार का संकट ना पैदा हो, इसके लिए यूपी सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संबंध में बाकायदा ऐलान किया है कि आगामी 03 से 06 महीनों के भीतर कम से कम 15 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजन की ठोस कार्ययोजना बनाई जाए। इस संबंध में विभिन्न विभागों को एक सप्ताह के भीतर कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
कोई ना सोए भूखा, सबको राशन: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हर जिले में कम्यूनिटी किचन बनाने की रणनीति भी इस संकट में जरूरतमंदों के लिए संजीवनी बनी। रोजाना पूरे प्रदेश में लाखों भोजन के पैकेट बांटे जा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ का साफ निर्देश है कि किसी के पास राशन कार्ड हो या ना हो, आधार कार्ड हो या ना हो, उसे खाद्यान्न और भोजन जरूर मिले। यूपी में हर जरूरतमंद का पेट भरे और प्रदेश में न कोई भूखा रहे न भूखा सोए।
दिहाड़ी मजदूरों का खास ख्याल: चाहे कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज में तत्परता हो या इस महामारी की वजह से प्रभावित गरीबों की मदद करना हो, योगी आदित्यनाथ हर कामकाज पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। 02 करोड़ 18 लाख जरूरतमंदों को खाद्यान्न उपलब्ध कराना, 35 लाख दिहाड़ी मजदूरों तथा खोमचे वालों को प्रति महीने 1000 रुपये आर्थिक सहायता देना, मनरेगा मजदूरों के खाते में ₹611 करोड़ की धनराशि हस्तांतरित करना, राज्य के 11 लाख से ज्यादा निर्माण श्रमिकों के खाते में 1,000 रुपये भेजना, 87 लाख लाभार्थियों को दी 871 करोड़ रुपए पेंशन भेजना, यह बताता है कि योगी गरीबों-निराश्रितों के लिए चिंतित हैं।
सीएम हेल्पलाइन और राहत हेल्पलाइन बनी कारगर: कोरोना काल में शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन 1076 एक ऐसा तंत्र साबित हुई, जिस पर कोरोना वायरस से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए फोन किया जा सकता है। लॉकडाउन के उल्लंघन व कोरोना वायरस संक्रमण के संदिग्ध मामलों की सूचना देने,आपातकाल चिकित्सकीय व्यवस्था,आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति व किसी अन्य मुद्दे के त्वरित निवारण हेतु यह हेल्पलाइन 24 घंटे खुली है। वहीं खाद्यान्न आपूर्ति, राशन कार्ड जैसी समस्याओं के समाधान के लिए राहत आयुक्त उत्तर प्रदेश की हेल्पलाइन 1070 स्थापित की गई।
नोडल अधिकारी किए तैनात: महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश-तेलंगाना, कर्नाटक, पंजाब, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, गुजरात, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और दिल्ली में रह रहे अपने उत्तर प्रदेश के निवासियों तक सुविधाओं पहुंचाने के लिए राज्यवार नोडल अधिकारी नियुक्त किए और उनके नंबर सार्वजनिक किए। इस कदम से साफ संदेश गया कि दूसरे राज्यों में रह रहे अपनों को किसी भी सूरत में अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। वहीं 20 से अधिक कोरोना केस वाले जिलों में एक अतिरिक्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी एवं एक अतिरिक्त पुलिस अधिकारी और एक चिकित्सा अधिकारी नियुक्त किए।
जमातियों पर कसा शिकंजा: तबलीगी जमाती कोरोना कैरियर बन चुके हैं और यूपी में फैल चुके हैं, जैसे ही यह खबर सीएम योगी आदित्यनाथ को मिली तो बिना कोई देरी किए सभी को ट्रेस करने का निर्देश दिया गया। तत्काल अलग-अलग स्थानों से बड़ी संख्या में जमातियों को ढूढ़कर निकाला गया और 14-14 दिन के लिए क्वारंटीन के लिए भेजा गया। क्वारंटीन सेंटर में जमातियों की बदसलूकी पर भी सख्ती दिखाते हुए योगी ने शिकंजा कसा।
कोरोना प्रबंधन में योगी आदित्यनाथ के कौशल ने साबित कर दिया कि वह सच्चे जननेता और कर्मयोगी हैं। कोरोना से निपटने को वह स्वयं और उनकी पूरी मशीनरी दिन और रात का अंतर भूल लगी हुई है। योगी आदित्यनाथ संकट की इस घड़ी में जिस तेवर में नजर आए, उसकी बदौलत राष्ट्रीय स्तर पर उनकी छवि एक कुशल शासक और सफल नायक की बनकर उभरी है। यही वजह है कि ना केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि देशभर में योगी आदित्यनाथ की स्वीकार्यता बढ़ी है और यही स्वीकार्यता उनके लिए भविष्य की राह प्रशस्त करेगी।