- पंजाब की रूपनगर जेल में बंद था गैंगस्टर एवं बसपा विधायक मुख्तार अंसारी
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब से उसे लेकर बांदा पहुंची यूपी पुलिस
- बांदा जेल परिसर की सुरक्षा बढ़ाई गई, त्रि-स्तरीय सुरक्षा घेरे में रहेगा अंसारी
बांदा (उत्तर प्रदेश) : पंजाब की रूपनगर जेल से गैंगस्टर मुख्तार अंसारी बुधवार तड़के बांदा जेल पहुंच गया। यूपी पुलिस भारी सुरक्षा व्यवस्था के साथ उसे लेकर यहां पहुंची। सुप्रीम कोर्ट के 26 मार्च के आदेश का पालन करते हुए यूपी पुलिस मंगलवार को अंसारी को हिरासत में लेकर बांदा के लिए रवाना हुई। अंसारी पिछले दो साल से रूपनगर जेल में बंद था। अंसारी के जान के खतरे का आशंका जताते हुए उसकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
पत्नी को आशंका है कि यूपी पुलिस अंसारी का हाल विकास दुबे जैसा कर सकती है। अंसारी की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट से यूपी पुलिस को 'स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच' कराने के लिए निर्देश देने की मांग की है। मुख्तार को लेकर यूपी पुलिस की टीम 2.07 बजे रोपड़ से रवाना हुई. पंजाब से होते हुए यह काफिला शाम 4 बजे तक हरियाणा के करनाल पहुंच गया।
जेल में त्रि-स्तरीय सुरक्षा घेरे में रहेगा अंसारी
यूपी पुलिस की टीम करीब 900 किलोमीटर की यात्रा 14 घंटे में पूरी कर बांदा पहुंची। बांदा के जेलर प्रमोद तिवारी का कहना है, 'जेल परिसर में एवं उसके बाहर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।' उन्होंने बताया कि जेल में अंसारी को चौबीस घंटे त्रि-स्तरीय सुरक्षा घेरे में रखा जाएगा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अंसारी के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए चार डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई है।
1990 के दशक से अपराध की दुनिया में दी दस्तक
अपराध की दुनिया में अंसारी का नाम 1990 के दशक में शुरू हुआ। शुरुआत में वह प्रॉपर्टी एवं ठेके का काम करना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे जरायम की दुनिया में कदम रखा। नवंबर 2005 में उस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कराने के आरोप उस पर लगे। हालांकि, जिस समय राय की हत्या हुई उस समय अंसारी जेल में बंद था। जुलाई 2019 में सीबीआई की विशेष अदालत ने अंसारी को रिहा कर दिया।
2009 में अंसारी के खिलाफ करीब 50 मामले दर्ज थे
साल 2009 में गैंगस्टर के खिलाफ हत्या के 10 सहित 48 एफआईआर दर्ज थे। मऊ में ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह की हत्या में भी अंसारी का नाम आया। 2017 में इस हत्याकांड में भी अंसारी गाजीपुर की एक स्थानीय अदालत से छूट गया। यही नहीं, सिंह की हत्या के चश्मदीद राम सिंह मौर्या की भी हत्या 2010 में हो गई। इस हत्या में कथित भूमिका के लिए अंसारी के खिलाफ केस दर्ज हुआ।
1996 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा
साल 1996 में अंसारी ने पहली बार मऊ सीट से बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन 2002 के चुनाव में पार्टी ने उसे टिकट नहीं दिया। फिर वह निर्दलीय चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचा। बाद में वह एक बार फिर बसपा में शामिल हो गया। साल 2009 में उसने भाजपा के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ा। हालांकि, इस चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा।