जोसेफ रॉबिनेट बाइडन जूनियर (जो बिडेन) दुनिया के सबसे ताकतवर यानि अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए हैं। विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र के अब वह मुखिया हैं। उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी होगी। दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्र के बीच रिश्ता कैसा होगा इस पर भी सबकी नजरें होंगी। मनमोहन सिंह सरकार के बाद भारत और अमेरिका के बीच नए रिश्ते की जो शुरुआत हुई वह समय के बहाव के साथ दिनोंदिन मजबूत होती गई है। दोनों देशों के बीच साल 2005 में हुए असैन्य परमाणु करार समझौते ने दोनों देशों के संबंधों में एक नई जान फूंकी और अमेरिका भारत का एक प्रबल रणनीतिक साझीदार के रूप में उभरा। इसके बाद दोनों देशों ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
भारत को रणनीति साझेदार के रूप में देखता है अमेरिका
रक्षा, कारोबार, प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच कई अहम करार हुए। अमेरिका अब भारत को अपना एक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है। चाहे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई हो, सीमा पर चीन के साथ विवाद हो या कश्मीर मसले पर भारत का समर्थन, अमेरिका इन सभी अहम मसलों पर भारत के साथ मजबूती के साथ खड़ा दिखाई दिया है। कहा जाता है कि कूटनीति की दुनिया में व्यक्ति नहीं देश के हित रिश्तों में स्थायित्व और मजबूती लाते हैं। रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने में हालांकि व्यक्ति की भूमिका सिरे से खारिज नहीं की जा सकती। अच्छी बॉन्डिंग होने पर व्यक्ति जो बात आम तौर पर कहने में हिचकता है उसे भी कह देता है।
आपसी सहयोग में है दोनों देशों को फायदा
यह बात दोनों देशों के शीर्ष नेताओं पर लागू होती है। मनमोहन-जार्ज बुश, बराक ओबामा-मोदी, ट्रंप-मोदी इन सबकी आपस में पर्सनल केमेस्ट्री बहुत अच्छी रही है। द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने में इन नेताओं ने जिन संजीदगी से काम किया उसमें इनकी पर्सनल केमेस्ट्री की भी भूमिका रही। दो देशों के आपसी संबंधों की बुनियाद उनकी जरूरतें एवं आपसी हित पर टिकी होती है। आज के समय में भारत और अमेरिका दोनों के हितों का फायदा एक दूसरे का सहयोग करने में है और यह बात दोनों देश भलीभांति जानते हैं। दोनों देशों को करीब लाने में ये आपसी हित सबसे अहम कारक हैं।
भारत-अमेरिका के बीच मजबूत संबंध चाहते हैं बिडेन
भारत और अमेरिका के हित तो आपस में जुड़े हैं। सवाल है कि जो बिडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच आगे आपसी तालमेल कैसा रहता है। बिडेन की भारत के प्रति नजरिए और उनके बयानों को देखें तो वह भारत के साथ मजबूत रिश्ते और संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की बात कह चुके हैं। साल 2006 में जब वह सीनेटर हुआ करते थे तब उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि 2020 में भारत और अमेरिका दुनिया के सबसे करीबी देश होंगे और ऐसा यदि होता है तो दुनिया सुरक्षित रहेगी। बिडेन का यह बयान काफी मायने रखता है। उन्होंने यह बयान काफी सोच-समचकर दिया होगा। चुनाव प्रचार के दौरान भी बिडेन ने कहा कि चुनाव जीतने पर वह भारत के साथ खड़े होंगे। बिडेन अब अमेरिका के राष्ट्रपति हैं। ऐसे में वह अपनी बात को चरितार्थ करने की दिशा में आगे भी बढ़ सकते हैं।
2008 से 2016 तक उप राष्ट्रपति रह चुके हैं बिडेन
बिडेन साल 2008 से 2016 तक अमेरिका के उप-राष्ट्रपति रह चुके हैं। इस दौरान भारत और अमेरिका के संबंधों में जो गर्माहट और नई ऊर्जा आई उसमें बिडेन की भी बड़ी भूमिका रही। साल 1998 के परमाणु परीक्षण के बाद भारत पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को हटवाने में बिडेन ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। वह अमरेकी सरकार की विदेश नीति की समिति से लंबे समय से जुड़े रहे हैं। अमेरिकी हितों के लिए क्या अच्छा और क्या बुरा है वह उसे अच्छी तरह समझते हैं। वह जानते हैं कि भारत-अमेरिका का स्वाभाविक रणनीतिक सहयोग दोनों देशों के हित में है।
असैन्य परमाणु करार में बिडेन की भूमिका अहम
अमेरिका-भारत के बीच असैन्य परमाणु करार को परवान चढ़ाने में भी बिडेन ने अहम भूमिका निभाई। बिडेन उस समय सीनेट के फॉरेन रिलेशन कमेटी के सदस्य थे। इस करार के लिए उन्होंने कांग्रेस में आने वाले बिल के समर्थन में माहौल बनाया। जाहिर है कि नई दिल्ली के हितों के प्रति बिडेन शुरू से ही गंभीर रहे हैं। वह पर्दे के पीछे रहकर नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच संबंधों की मजबूती के लिए काम करते आए हैं। वह भारत को ठीक से समझते हैं, नई दिल्ली उनके लिए नई नहीं है।