- हापुड़ का मामला, गर्माया तो दो टीचर सस्पेंड
- क्लास फोटो के लिए ऊंची जाति की बच्चियों को दिए जाने थे कपड़े
- एनजीओ के साथ स्थानीय लोगों ने उठाया मुद्दा
उत्तर प्रदेश के एक स्कूल में दो दलित आदिवासी बच्चियों के कपड़े सिर्फ इसलिए उतरवा लिए गए, ताकि उनकी यूनिफॉर्म देकर दूसरे बच्चों को क्लास के फोटो में शामिल किया जा सके। मामला सामने आने के बाद नेशनल कमिशन फॉर शिड्यूल्ड कास्ट्स (एनसीएससी) ने लिए गए एक्शन की रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद सोमवार (18 जुलाई, 2022) को यूपी के शिक्षा विभाग ने विभागीय जांच के आदेश दे दिए।
हमारे सहयोगी अंग्रेजी अखबार 'टीओआई' की खबर के मुताबिक, यह मामला हापुड़ का है, जहां आदिवासी लड़कियों के कपड़े सवर्ण (ऊंची जाति की) बच्चियों को दिए गए थे। हापुड़ की जिलाधिकारी मेधा रूपम ने इस बारे में बताया कि उन्होंने इस मामले में पुलिस को एक एफआईआर दर्ज करने का आदेश भी दिया है।
इन्कार पर दी गई स्कूल से निकालने की धमकी
दरअसल, 11 जुलाई को छठी कक्षा की दो दलित बच्चियों से स्कूल में कथित तौर पर कपड़े उतारने के लिए जोर-जबरदस्ती की गई थी। बाद में उनके यूनिफॉर्म ऊंची जाति की बच्चियों को क्लास फोटो खिंचाने के लिए दिए गए थे। पीड़ित बच्चियों ने जब न-नुकुर की तो उन्हें इस दौरान टीचरों की तरफ से स्कूल से निकालने की धमकी भी दी गई।
केस गर्माया, दो टीचर्स पर चला 'चाबुक'
वैसे, बेसिक शिक्षा अधिकारी अर्चना गुप्ता ने मामले के सामने आने के बाद दो टीचर्स को निलंबित कर दिया है। आरोप है कि पुलिस ने फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं, एनजीओ शोषित क्रांति दल ने बाद में इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर पुरजोर तरीके से उठाया।
NGO ने कहा- ये दलितों संग भेदभाव की इंतेहा
शोषित क्रांत दल के चीफ रविकांत ने ट्वीट किया, "मामले को हफ्ता भर हो चुका है, पर कोई एफआईआर नहीं हुई। आरोपी टीचर पंचायत कर पीड़ित बच्चियों के परिवारों पर दबाव बना रहे हैं। यह दलितों के साथ भेदभाव की इंतेहा है। आप इसे और कैसे परिभाषित करेंगे?" वहीं, सोमवार को एक पुलिस अफसर ने कहा कि एनसीएससी चेयरमैन विजय संपला के रिपोर्ट मांगने के एक दिन बाद महिला कॉन्स्टेबलों वाली टीम ने बच्चियों के बयान दर्ज कर लिए हैं।
पीड़िता के पिता पर बनाया गया दबाव, कहा गया- शांत रहो...
दोनों बच्चियों में से एक के पिता ने टीओआई को बताया कि उन पर मामले को रफा दफा करने का दबाव बनाया जा रहा है। बकौल पीड़ित पिता, "मेरी शिकायतों के बावजूद अभी तक टीचर्स के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। मेरे साथ गांव वालों पर भी दबाव बनाया गया कि हम इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रहें। मैं जिला मजिस्ट्रेट ऑफिस में इस बाबत शिकायत दी है।"