- उत्तराखंड में बाढ़ के बाद जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन
- अभी तक 8 शव तपोवन से हुए बरामद, 16 मजदूर सुरक्षित निकाले गए
- चमोली के साथ-साथ धौलीगंगा और अलकनंदा तक का मलबे का ढेर आ रहा है नजर
चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक विकराल बाढ़ आ गई। इससे वहां दो पनबिजली परियोजनाओं में काम कर रहे कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और 125 से ज्यादा मजदूर लापता बताए जा रहे हैं। लापता हुए लोगों की खोजबीन के रात को भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा। धौली गंगा, ऋषि गंगा और अलकनंदा में बाढ़ से बड़े पैमाने पर तबाही हुई है।
तबाही के रेस्क्यू ऑपरेशन में सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ लगातार फंसे हुए लोगों को बाहर निकाल रहे हैं। तपोवन परियोजना की एक सुरंग में फंसे सभी 16 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है जबकि लगभग 125 अब भी लापता है। तपोवन धौलीगंगा से अभी तक 8 शवों को भी बाहर निकाला जा चुका है।
भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवानों तपोवन में सुरंग के अंदर फंसे लोगों को बचाने के लिए जो अभियान चलाया उसकी कई तस्वीरें वायरल हो रही है। जवानों ने सुरंग का रास्ता खोजने के लिए खुदाई शुरू की और फिर कई लोगों को बचाया।
अभी तक जो खबर मिली है उसके मुताबिक तपोवन हाइड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर डैम बुरी तरह नष्ट हो गया है। यह धौली गंगा और ऋषि गंगा के संगम पर है। ऋषि गंगा परियोजना भी पूरी तरह नष्ट हो गई है।
मलारी घाटी के प्रवेश द्वार पर और तपोवन के पास पुल बह गए है। निचले इलाकों में कई निर्माण कार्य बुरी तरह नष्ट हो गए हैं। नंदादेवी ग्लेशियर के प्रवेश द्वार से लेकर पिपलकोटी और चमोली के साथ-साथ धौलीगंगा और अलकनंदा तक का मलबे का ढेर देखा जा सकता है।
रविवार रात करीब आठ बजे अचानक धौली गंगा का जलस्तर बढ़ जाने के चलते अधिकारियों को एक परियोजना क्षेत्र में जारी राहत एवं बचाव कार्य को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा। परियोजना के महाप्रबंधक (जीएम) ने कहा कि जलविद्युत परियोजना क्षेत्र की एक सुरंग में श्रमिकों एवं अन्य कर्मचारियों समेत करीब 30-35 फंसे लोगों को बचाने का अभियान सोमवार की सुबह फिर से शुरू हो गया है।