- साल 2019 में चारधाम और 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए कानून लाया गया था।
- पिछले 22 महीने से उत्तराखंड में पंडा-पुरोहित कानून का विरोध कर रहे हैं।
- कांग्रेस ने चुनावों को देखते हुए भाजपा पर हमले तेज कर दिए हैं और उसे हिंदू विरोधी बता रही है।
नई दिल्ली: कृषि कानूनों की तरह देवस्थानम प्रबंधन कानून भाजपा के लिए नई मुसीबत बनता दिख रहा है। उत्तराखंड में भाजपा सरकार द्वारा लाया गया यह कानून, चुनावों से पहले ब्राह्मण वोटर की नाराजगी का बड़ा कारण बन सकता है। ऐसे में पहले से ही 5 साल में तीन मुख्यमंत्री बनाकर बैकफुट पर आ चुकी भाजपा, आने वाले समय में कोई बड़ा फैसला ले सकती है। जिसमें बोर्ड भंग करने का फैसला भी सामने आ सकता है। इस बीच मौके का फायदा उठाकर विपक्षी दलों ने, भाजपा सरकार को हिंदू विरोधी पार्टी बताना शुरू कर दिया है।
क्या है मामला
साल सितंबर 2019 में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 के तहत बोर्ड का गठन किया था। जिसके जरिए सरकार ने चार धामों (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) के अलावा 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया । सरकार का बोर्ड बनाने की पीछे तर्क यह था कि लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्या और इस क्षेत्र को पर्यटन और तीर्थाटन के नजरिए से मजबूत करने के लिए सरकार का मंदिरों का प्रबंधन करना जरूरी है। इससे मंदिरों के रखरखाव और यात्रा के प्रबंधन का काम बेहतर तरीके से हो सकेगा।
22 महीने से चल रहा है विरोध
राज्य सरकार के इस फैसले का मंदिरों के पुरोहित और पुजारी लगातार 22 महीने से विरोध कर रहे हैं। और उन्हें विपक्षी राजनीतिक दलों का भी समर्थन प्राप्त हैं। विधानसभा चुनावों के नजदीक आता देख अब राज्य सरकार के मंत्रियों और भाजपा नेताओं का भी घेराव किया जा रहा है। पुरोहितों और उनसे जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार इस बोर्ड की आड़ में उनके हकों को खत्म करना चाह रही है।
इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इसी महीने केदारनाथ धाम पहुंचने पर विरोध का सामना करना पड़ा थ। बढ़ते विरोध को देखते हुए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के संबंध में भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की थी। जिसने रविवार को अपनी अंतिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी ।मुख्यमंत्री ने कहा है कि रिपोर्ट का अध्ययन कर उस पर शीघ्र निर्णय लिया जायेगा।
सरकार पर कितना दबाव है ये इसी बात से समझ में आता है कि देवस्थानम बोर्ड पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने भी देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सोमवार को सौंप दी है। जिस तरह से सरकार ने तेजी दिखाई है, उसे लगता है कि सरकार इस मसले पर बहुत जल्द फैसला कर सकती है।
हिंदू विरोधी है भाजपा सरकार-कांग्रेस
उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बताया कि भाजपा सरकार पूरी तरह से हिंदू विरोधी है। पहले उसने कुंभ में एक लाख से ज्यादा लोगों के नकली कोरोना टेस्ट रिपोर्ट दिलाई और पिछले 2 साल से देवस्थानम बोर्ड बनाकर आदि गुरू शंकराचार्य के समय से चली आ रही परंपरा को खत्म कर रही है। देखिए इसके तहत चाहे पट खुलना हो या बंद होना, पुजारियों की नियुक्ति का मामला हो, पूजा पद्धति, कर्मकांड आदि का संबंध आदि गुरू शंकराचार्य के समय से चल आ रहे हैं।
धस्माना कहते हैं जब 2019 में विधेयक लाया गया था, तभी कांग्रेस ने इसका विरोध किया था। पार्टी ने कहा था कि नई व्यवस्था से पहले सभी संबंधित पक्षों से बात होनी चाहिए। लेकिन उसकी अनदेखी की गई। इसके तहत केवल पंडा-पुजारी नहीं हैं, बल्कि लोगों को यात्रा के लिए ले जाने वाले खच्चर-घोड़ा चलाने वाले , प्रसाद देने वाले आदि सभी इस फैसले से प्रभावित हो रहे हैं। लेकिन उसकी अनदेखी की गई और अब यह मामला पूरे प्रदेश में फैल चुका है। कांग्रेस पार्टी, पंडा-पुरोहित समाज के विरोध प्रदर्शन का समर्थन कर रही है। और जब हमारी सरकार आएगी, तो इस कानून को खत्म कर देगी। यह पूरी तरह से कृषि कानून की तरह है। जिस तरह से किसानों से बिना बातचीत के कानून लाया गया, उसी तरह यह कानून भी है।
सभी 70 सीटों पर ब्राह्मणों का प्रभाव
राजनीतिक विश्लेषक अजीत सिंह का कहना है, चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, भाजपा के लिए यह मुद्धा गले की हड्डी बनता जा रहा है। एक तो पहले ब्राह्णण वर्ग भाजपा से इसलिए नाराज था कि पार्टी ने 5 साल में तीनों मुख्यमंत्री क्षत्रिय समाज से बनाए हैं।
इसके बाद देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा गरम हो गया है। जिसने ब्राह्मण और पुरोहित समाज को बड़े पैमाने पर नाराज किया है। इसका प्रदेश की सभी 70 सीटों पर प्रभाव पड़ेगा। हालांकि गढ़वाल क्षेत्र में इसका ज्यादा असर दिख रहा है। क्योंकि चारों धाम इसी क्षेत्र में आते हैं। हिंदू बाहुल्य राज्य और ब्राह्मणों का सामाजिक प्रभुत्व होने से चुनावों में असर दिख सकता है। ऐसे में लगता है कि भाजपा सरकार चुनावों को देखते हुए कोई बड़ा फैसला ले सकती है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा में बढ़ते विरोध को देखते हुए, एक धड़ा इस सिलसिले में तुरंत कदम उठाने की मांग कर रहा है और कमेटी की रिपोर्ट इसी दिशा में उठाया गया कदम है। ऐसे में देखना यह है कि उत्तराखंड सरकार आने वाले समय क्या कदम उठाती है।