- बच्चे आधार कार्ड, स्कूल की आईडी आदि से अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
- माता-पिता के मोबाइल नंबर से भी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।
- देश में अब तक 145 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज व्यस्कों को लगाई जा चुकी है।
नई दिल्ली: आज से देश में 15-18 साल के बच्चों का कोविड-19 वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। और पहले दिन ही बच्चों की तरफ से बड़ा रिस्पांस दिखता हुआ मिल रहा है। खबर लिखे जाने तक (आज दोपहर 12 बजे तक) करीब 12.57 लाख बच्चों ने वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया है। देश में 15-18 साल से उम्र के करीब 10 करोड़ बच्चे हैं। सरकार का इस समूह के सभी बच्चों के वैक्सीनेशन का लक्ष्य है। ऐसे में वैक्सीनेशन को लेकर अभिभावकों और बच्चों के मन तैयारियों से लेकर वैक्सीन की क्षमता, साइफ इफेक्ट आदि को लेकर कई सारे सवाल उठ रहे हैं। आइए जानते हैं उन सभी सवालों के जवाब
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ऑप्शन
रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से हो सकती है। बच्चों के नाम से कोविन प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। इसके लिए मोबाइल नंबर माता-पिता का भी इस्तेमाल हो सकता है। जिन बच्चों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नही हुआ है, वह सेंटर पर भी जाकर वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
वैक्सीनेशन सेंटर पर यह है व्यवस्था
इस बीच वैक्सीनेशन सेंटर पर किसी तरह के कंफ्यूजन से बचने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि बच्चों की वैक्सीन को मिक्स होने से बचाने के लिए वैक्सीन सेंटर पर अलग लाइन, अलग टाइमिंग और अलग वैक्सीनेशन टीम बनानी चाहिए । बच्चों को अभी केवल कोवैक्सीन का टीका ही लगाया जाएगा।
वैक्सीन कितनी असरदार
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, बच्चों में वैक्सीन की प्रभावशीलता, वयस्कों जैसी ही है। जॉन हॉपकिन्स की रिपोर्ट के अनुसार फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन की बच्चों पर 95 फीसदी प्रभावशीलता रही है।
वैक्सीन क्यों जरूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन और विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर का सबसे ज्यादा खतरा बच्चों पर है। ऐसा इसलिए हैं कि दुनिया भर में अभी सबसे ज्यादा वैक्सीन व्यस्क लोगों को लगी है। भारत में 145 करोड़ से ज्यादा डोज लगाई जा चुकी है। ऐसे में बच्चों के वैक्सीनेशन नहीं होने से उन पर ओमीक्रॉन से लेकर दूसरे वैरिएंट के संक्रमण का खतरा बढ़ा है।
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इसे देखते हुए 15-18 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन होने से, न केवल खतरा कम होगा। बल्कि वैक्सीन लगने के बाद उनके संक्रमण का खतरा भी कम हो जाएगा। इस उम्र के ज्यादातर बच्चे 10वीं और 12 वीं कक्षाओं में पढ़ते हैं। ऐसे में उनके लिए बोर्ड की परीक्षाएं देना भी आसान होगा।
क्या कोई साइड इफेक्ट
बच्चों के वैक्सीनेशन में अभी तक पूरी दुनिया में कोई गंभीर साइड इफेक्ट सामने नहीं आया है। जॉन हॉपकिंस मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार , बच्चों में आमतौर पर साइड इफेक्ट वयस्कों जैसे ही होते हैं। जैसे हाथ में दर्द, हल्का बुखार, थकान, सिर दर्द मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द जैसे साइड इफेक्ट दिख सकते हैं।
वहीं अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार बच्चों में साइड इफेक्ट का असर 1-3 तीन दिन तक रहता हैं और ज्यादातर खुद ही ठीक हो जाते हैं। कुछ बच्चों में दिल की मांसपेशियों में सूजन की समस्या वैक्सीन की लेने के बाद नजर आई, हालांकि इनमें से ज्यादातर बच्चों ने दवाई और आराम मिलने के बाद बेहतर महसूस किया।
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भारत के अलावा इन देशों में भी बच्चों को वैक्सीन
इस समय अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, इटली, इजराइल , क्यूबा, वेनेजुएला, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, जापान , आदि देशों में वैक्सीन लगाई जा रही है। क्यूबा, वेनेजुएला में तो 2 साल से ज्यादा के बच्चों को भी वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है। अमेरिका में 5 साल से ज्यादा की उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया में 12 साल से ज्यादा की उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन हो गया है।