- हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते हैं, हर तकलीफ में ताकत की दवा देते हैं
- जिसके आगे दर्द भी पनाह मांगे! संघर्ष की सबसे जिंदादिल मिसाल
- आस्था के हिम्मत-हौसले को सलाम, असाध्य बीमारी पर हिम्मत नहीं हारी
नई दिल्ली: ये कहानी एक ऐसी ही पहाड़ों से हौसले वाली लड़की की है।जिसने तमाम दर्द औऱ तकलीफों के बावजूद खुद को जिंदा रखा और अपना एक अलग मुकाम हासिल किया। सोचिए अगर किसी के शरीर में 100 हड्डियां टूटी हों तो वो क्या कर सकता है। इस कहानी को देखिए और सीखिए कि वो क्या-क्या नहीं कर सकता है। दुनिया में शायद ही किसी और के पास ऐसी हिम्मत और हौसला होगा। इस जोश और जूनून को सौ-सौ बार सलाम है। शरीर में सौ से ज्यादा हड्डियां टूटी हैं...हर पल असहनीय दर्द में गुजरता है। ना उठ सकती हैं, ना चल सकती है। जन्म के दो साल बाद से ही इस पीड़ा से गुजर रही हैं। पूरी दुनिया इस बेड पर सिमटकर रह गई है बावजूद इसके इस लड़की ने अपने हालात के आगे हार नहीं मानी है।
फौलादी इरादों की कहानी
ये हैं वाराणसी के भेलूपुर इलाके में रहने वाली आस्था। आस्था ऑस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा DH नाम की ऐसी बीमारी से पीड़ित हैं जिसका कोई इलाज नहीं है। शरीर में अब तक 12 से ज्यादा ऑपरेशन हो चुके हैं। सोचिए आस्था की जगह अगर कोई दूसरा होता तो शायद अपनी किस्मत को कोस रहा होता लेकिन जब आप आस्था के फौलादी इरादों की कहानी सुनेंगे तो उसकी दाद दिए बिना नहीं रह सकेंगे। इतनी दिक्कत-परेशानियों के बावजूद आस्था के चेहरे से कभी मुस्कान नहीं हटती।
जज्बे को सलाम, यहां घने जंगल के बीच पेड़ों पर चलती है पाठशाला, देखें वीडियो
कईयों के लिए प्रेरणा है आस्था
बेड पर लेटे हुए आस्था सीपीएमटी का एग्जाम क्लियर कर चुकी हैं...कंप्यूटर में डिस्टेंस लर्निंग से डिग्री हासिल कर चुकी हैं, थ्री डी ग्राफिक डिजाइनर का काम करती हैं। साथ ही बेजुबानों की मदद के लिए एक सामाजिक संस्था भी चलाती हैं। जितना संघर्ष आस्था के जीवन में है उससे कहीं ज्यादा आस्था की मां विद्या को अपनी जिंदगी में झेलना पड़ा है। आस्था पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है...आस्था उन सबके लिए एक प्रेरणा हैं जो छोटी-छोटी तकलीफों के आगे हार मान लेते हैं...आस्था के साहस पर बस यही कहा जा सकता है।
चिनार कॉर्प्स को सलाम, भारी बर्फबारी में 6.5 किमी दूरी तय कर प्रेग्नेंट महिला को पहुंचाया अस्पताल