- राजनाथ सिंह ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि बदलते युद्ध के तरीकों के लिए हम कितने तैयार हैं
- रक्षा मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता की जो राह हमने चुनी है, उस पर चलना आसान काम नहीं है
- 'दुश्मन देश अंतरिक्ष युद्ध की ओर कदम बढ़ाए जा रहे हैं, इसका हमारे हितों पर विपरीत असर पड़ेगा'
Rajnath Singh : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुरक्षा उपकरणों के आयात एंव मौजूदा समय की युद्धनीति पर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा है कि हमें सोचना होगा कि आने वाले समय के, यानी बदलते युद्ध के तरीकों के लिए हम क्या पूरी तरह तैयार हैं। ऐसे युद्ध, जो कब, और किस रूप में हमारे सामने आ जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता। सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता की जो राह हमने चुनी है, उस पर चलना आसान नहीं है। युद्धनीति, युद्ध के बदलते स्वरूप एवं रक्षा उपकरणों की आत्मनिर्भरता के बारे में सिंह ने कई ट्वीट किए हैं।
त्याग, बलिदान, पराक्रम की मिसाल है वायु सेना-रक्षा मंत्री
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारी वायु सेना आज जिस मुकाम पर है, उसमें अनेक हमारे बहादुर जवानों, नेतृत्वकर्ता एवं रणनीतिकारों की काबिलियत, शौर्य, पराक्रम, त्याग और बलिदान रहा है। इनमें एक प्रमुख नाम पीसी लाल का भी है। किसी भी अभियान में जीत हासिल करने के लिए अत्याधुनिक प्रणालियों एवं हथियारों की जरूरत तो है ही, पर उनसे भी कहीं जरूरी है हमारे अंदर का जज़्बा, क़ाबिलियत और दृढ़ इच्छाशक्ति।
हार-जीत का फैसला काबिलियत करती है-सिंह
रक्षा मंत्री ने कहा कि तकनीक कितनी भी उपलब्ध हो, प्लेटफॉर्म कितने ही उपलब्ध हों, लेकिन यह किसी लीडर की काबिलियत होती है, जो किसी की जीत और हार सुनिश्चित करती है। यही कौशल युद्ध में किसी पक्ष की ओर निर्णायक भूमिका निभाती हैं और इस मामले में भारतीय सेनाएं, वह समझते हैं कि अत्यंत भाग्यशाली हैं।
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'ऑपरेशन 'कैक्टस लिली' से दुश्मन को मिला करारा जवाब'
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि वायु सेना ने न सिर्फ युद्ध के मैदान में अपना दम दिखाया, बल्कि पाकिस्तानी नेतृत्व की, युद्ध को जारी रखने की इच्छा शक्ति को तोड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमारी वायु सेना ने ऑपरेशन 'कैक्टस लिली' चलाकर पश्चिमी दुश्मन देश को जो सबक सिखाया, उसे मानवता के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। यह राष्ट्र हमारी सेनाओं के साहस, त्याग और सर्वोच्च बलिदान के लिए सदैव ऋणी रहेगा।
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आत्मनिर्भरता की राह आसान नहीं-राजनाथ सिंह
उन्होंने कहा, 'हमें सोचना होगा कि आने वाले समय के, यानी बदलते युद्ध के नए स्वरूप एवं तरीकों के लिए हम क्या पूरी तरह तैयार हैं। ऐसे युद्ध, जो कब, और किस रूप में हमारे सामने आ जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता। सैन्य मामलों एवं भू राजनीति के छात्र के रूप में हमारा कर्तव्य है, कि हम भविष्य के युद्धों के स्वरूप का अनुमान लगाते रहें। दुश्मन देश अंतरिक्ष युद्ध की ओर कदम बढ़ाए जा रहे हैं। निश्चित ही इसका हमारे हितों पर विपरीत असर पड़ने की संभावना है। ऐसे में आत्मनिर्भरता न केवल घरेलू क्षमता निर्माण, बल्कि हमारी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है। आत्मनिर्भरता की जो राह हमने चुनी है, उस पर चलना आसान नहीं है।