- 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के नेताओं से मुलाकात की
- बैठक में कश्मीर के सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा हुई
- हर नेता ने अपनी-अपनी बात रखी और अपनी-अपनी मांगे कही
नई दिल्ली: 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक करने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात अच्छी रही। पार्टियों ने अपना हाल उनके सामने रखा है। उनकी तरफ से यह पहला कदम था कि हम जम्मू-कश्मीर में बेहतर परिस्थितियों का निर्माण कैसे कर सकते हैं और एक राजनीतिक प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हमें वहां (पीएम की सर्वदलीय बैठक में) गठबंधन के तौर पर नहीं बुलाया गया था। अगर ऐसा होता तो गठबंधन के केवल एक व्यक्ति को आमंत्रित किया जाता। बैठक में हमने कोई ऐसी बात नहीं की जो गुपकर अलायंस के एजेंडा के बाहर हो।
वहीं उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वहां किसी ने प्रधानमंत्री से नहीं कहा कि हम 5 अगस्त कबूल करते हैं। हमने कहा कि हम इससे नाराज हैं। पीएम से महबूबा मुफ्ती और फारुख अब्दुल्ला ने साफ कहा कि बीजेपी को 370 हटाने का एजेंडा कामयाब कराने में 70 साल लगे। हमें 70 महीने लगेंगे तो भी हम अपने मिशन से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा, 'गुलाम नबी आजाद ने हम सबकी तरफ से वहां बात की और कहा कि हम ये टाइमलाइन नहीं मानते हैं। हम डिलिमिटेशेन, चुनाव और राज्य का दर्जा नहीं मानते। हम पहले डिलिमिटेशन, फिर राज्य का दर्जा और फिर चुनाव चाहते हैं। चुनाव कराना ही है तो पहले राज्य का दर्जा लौटा दीजिए। उसके बाद हम चुनाव पर बात करेंगे। जहां तक परिसीमन आयोग का सवाल है, पार्टी ने बहुत स्पष्ट कर दिया है- डॉक्टर साहब (फारूक अब्दुल्ला) को जरूरत पड़ने पर विचार करने के लिए अधिकृत किया है। परिसीमन आयोग की ओर से नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए कोई नया दृष्टिकोण नहीं अपनाया गया है।
पीएम मोदी के साथ बैठक के बाद फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर विश्वास कायम करने की दिशा में काम किया जाए। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे को समाप्त किए जाने को वह कानूनी एवं संवैधानिक माध्यम से चुनौती देते रहेंगे। अब्दुल्ला ने कहा, 'विश्वास खत्म हो गया है और उसे तुरंत बहाल करने की जरूरत है और उसके लिए केंद्र को जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली की दिशा में काम करना चाहिए। मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि राज्य के दर्जे का मतलब है कि जम्मू-कश्मीर के आईएएस और आईपीएस कैडर को भी वापस करना। पूर्ण राज्य होना चाहिए।'