- पश्चिम बंगाल में संविधान की रक्षा नहीं हुई तो कार्रवाई होगी :राज्यपाल
- सरकार कर रही है अनदेखी, मजबूरन अनुच्छेद 154 पर विचार करना होगा- धनखड़
- पिछले काफी समय से चल रही है राज्य सरकार और राज्यपाल में तकरार
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच पिछले काफी समय से तकरार चल रही है जो अब और बढ़ती हुई नजर आ रही है। सोमवार को यह तकरार और बढ़ गई जब राज्यपाल ने सरकार को सीधे- सीधे चेतावनी देते हुए कहा, 'मुझे पिछले काफी समय से नजरअंदाज किया जा रहा है और अगर ऐसा ही रहा तो फिर मुझे मजबूरन संविधान के उस अनुच्छेद 154 का इस्तेमाल करना पड़ेगा जो कहता है कि राज्य की शक्तियां राज्यपाल में निहित होंगी।'
आपको बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 154 में उल्लेख है कि राज्य के कार्यकारी अधिकार राज्यपाल में निहित होंगे और वह प्रत्यक्ष रूप से या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से उन अधिकारों का इस्तेमाल कर सकेंगे।
राज्य में माउवोदी विद्रोह पनप रहा है
राज्यपाल धनखड़ ने यह भी दावा किया कि राज्य में कानून और व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है जबकि माओवादी विद्रोह राज्य में भी अपना सिर उठा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य के कानून और व्यवस्था की स्थिति में गिरावट के संबंध में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को लिखे अपने पत्र में उन्होंने कहा कि राज्य की पुलिस सत्ताधारी टीएमसी कॉडर की तरह कार्य कर रही है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने सवाल किया कि यदि संविधान की रक्षा नहीं की गई, तो मुझे ऐक्शन लेना होगा।
सरकार ने ठुकरा दिया था अनुरोध
राज्यपाल ने 26 सितंबर को लिखे मुख्यमंत्री के पत्र का विस्तृत जवाब देते हुए लिखा, 'मुझे विश्वास है कि आप पुलिस की राजनीतिक तटस्थता’ सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाएंगी और उनके दोषपूर्ण अपराधों को कवर करने की बजाय उनकी जवाबदेही जय करेंगी।' इससे पहले दिन पश्चिम बंगाल सरकार ने राजभवन के लिए बजट आवंटन बढ़ाने के लिए राज्यपाल धनखड़ के एक अनुरोध को ठुकरा दिया था। राज्यपाल कार्यालय ने हाल के दिनों में राज्य सचिवालय को एक पत्र लिखा था जिसमें रोजमर्रा के खर्चों को पूरा करने के लिए 53.5 लाख रुपये की अतिरिक्त धनराशि की मांग की गई थी।
निगरानी कर रही है सरकार
उन्होंने यह भी कहा कि तृणमूल कांग्रेस सरकार द्वारा की जा रही ‘इलेक्ट्रॉनिक निगरानी’ की वजह से उन्हें वॉट्सऐप वीडियो कॉल करने को मजबूर होना पड़ रहा है। धनखड़ ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल पुलिस शासित राज्य बन गया है। पुलिस का शासन और लोकतंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते। राज्य में कानून व्यवस्था चरमरा गयी है। माओवादी उग्रवाद अपना सिर उठा रहा है। इस राज्य से आतंकी मॉड्यूल भी गतिविधियां चला रहे हैं।’
पुरानी है अदावत
धनखड़ ने जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कामकाज संभाला था और तब से ही उनका तृणमूल कांग्रेस सरकार से गतिरोध सामने आता रहा है। उन्होंने डीजीपी वीरेंद्र को इस महीने की शुरुआत में पत्र लिखकर राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 26 सितंबर को राज्यपाल को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया कि वह ‘संविधान में निर्देशित कार्यक्षेत्र में रहते हुए काम करें’।