- पश्चिम बंगाल में धार्मिक स्थलों को खोलने को लेकर बनी हुई है भ्रम की स्थिति
- इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष बोले मोहम्मद याहिया- अभी तक नहीं मिला है कोई स्पष्टीकरण
- याहिया बोले- एक महीन तक मस्जिद नहीं खुलती है तो नहीं होगा नुकसान
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में एक जून से धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति देने का ऐलान किया था। मुख्यमंत्री के इस ऐलान के बावजूद भी धर्मगुरुओं के बीच धार्मिक स्थलों को खोलने को लेकर कंफ्यूजन सा बना हुआ है। बंगाल के इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद याहिया ने इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अभी तक इस बारे में हमारे पास कोई ज्यादा जानकारी नहीं है।
स्पष्ट निर्णय लेने में असमर्थ
मीडिया से बात करते हुए मोहम्मद याहिया ने कहा, 'एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, मुख्यमंत्री महोदया ने घोषणा की थी कि 1 जून से सभी धार्मिक स्थानों को खोला जाएगा। हमारे पास इस पर विस्तृत स्पष्टीकरण नहीं है, इसलिए हम कोई स्पष्ट निर्णय लेने में असमर्थ हैं।'
मस्जिद ना भी खोलें तो कई नुकसान नहीं
मोहम्मद याहिया ने मस्जिद नहीं खोलने का सुझाव देते हुए कहा, 'यह हमारा सुझाव है कि हमें उसी तरह प्रार्थना करते रहनी चाहिए जैसे हम कर रहे हैं क्योंकि हालात अभी विकट हैं। हम मस्जिद समितियों और इमामों से भी अपील करते हैं कि वे मस्जिदों के दरवाजे तुरंत न खोलें। यदि मस्जिदें एक महीने तक नहीं खुलती हैं, तो इससे कोई नुकसान नहीं होगा।'
धार्मिक संगठन से जुड़े लोगों ने मांगा समय
दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार ने सभी धर्मों के पूजा स्थलों को सोमवार से फिर से खोलने की अनुमति दे दी है। इस अनुमति में एक शर्त भी है कि एक बार में केवल 10 लोग ही धार्मिक स्थल के अंदर जा सकते हैं। लेकिन विभिन्न धार्मिक संस्थानों के अधिकारियों ने मांग की है कि उन्हें और समय की जरूरत है जिससे वे आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था स्थापित कर सकें।
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने शनिवार को राज्य में और अधिक छूट तथा कुछ शर्तों के साथ लॉकडाउन की अवधि 15 जून तक बढ़ा दी। एक जून से टीवी और फिल्म निर्माण संबंधी अंदरुनी और बाहरी गतिविधियों को अनुमति दी गई है लेकिन एक ही समय में कार्यरत यूनिट में 35 से अधिक लोगों को अनुमति नहीं रहेगी।