आम आदमी पार्टी ने बुधवार को कहा कि उसने उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे के समझौते पर समाजवादी पार्टी के साथ बातचीत शुरू कर दी है। आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने लखनऊ में सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद यह घोषणा की। दोनों के बीच पहले भी मुलाकातें हो चुकी हैं लेकिन संभावित गठबंधन की बात को छुपा कर रखा गया था।
दोस्तों हिंदी में एक कहावत है कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा..भानमति ने कुनबा जोड़ा अब आप पूछेंगे कि यूपी में भानुमती किसके लिए कह रही हैं आप? तो मझे लगता है कि यहां भानुमति पूरा विपक्ष बना हुआ हैअब एक सवाल जो आपके मन में उठ रहा होगा कि ऐसा क्यों हो रहा है, इसे ऐसे समझिए-
योगी के खिलाफ भानुमति का कुनबा इसलिए-
अखिलेश अकेले योगी को हराने का विश्वास नहीं
बीजेपी विरोधी वोट बंटने नहीं देना चाहते
मोदी+शाह+योगी की तिकड़ी का तोड़ नहीं
योगी को काम के नाम पर नहीं हरा सकते
ओवैसी -
सभा में भीड़ आ रही, वोट देगी की नहीं..विश्वास नहीं
- मस्लिम वोट अखिलेश से टूट जाएंगे ये कन्फर्म नहीं
- राजभर ने साथ छोड़ा, दूसरे बड़े दल की तलाश में
- सीट नहीं जीतने पर इमेज खराब होने का डर
राजभर -
100 सीट तो चिल्लाए लेकिन हकीकत पता है
16-17 सीटों पर प्रभाव, अकेले जीत नहीं पाते
मस्लिम+दलित की आस, ऐसा होता नहीं दिखा
OBC/SC/ST वोटर्स में बीजेपी की बड़ी घसपैठ
अखिलेश के साथ कुछ सीट जीतने का भरोसा
मस्लिम वोट के लिए ओवैसी को साथ लाने की छटपटाहट
संजय सिंह ( AAP)-
- उपस्थिति दर्ज कराने की लड़ाई
- पहले खाता खोलो, फिर आगे की बात..इस पर काम
- पिछले चनाव में प्रदर्शन बहुत निराशाजनक
- मजबूत संगठन नहीं, सीमित इलाकों में पहुंच
- पंजाब में अकेले..यूपी में बैसाखी चाहिए
- कांग्रेस के साथ जाने पर पंजाब का सवाल उठता
- BJP के साथ जा नहीं सकते,अखिलेश तैयार- सूत्र
अब शायद आपको समझ आ गया होगा कि क्यों कहा जाता है कि राजनीति में कोई किसी का दोस्त नहीं होता..कोई किसी का दुश्मन नहीं होता । प्यार और जंग में जैसे सब जायज होता है..राजनीति में भी यही होता है । लेकिन कहावत तो ये भी है न कि...ये पब्लिक है..सब जानती है, इसलिए सवाल भी पूछती है।