- अपने नए नक्शे में भारत ने कालापानी को उत्तराखंड में किया है शामिल
- नेपाल के लोगों का दावा है कि यह क्षेत्र उनकी सीमा में शामिल है
- भारत ने कहा कि इससे नेपाल के साथ उसकी सीमा में कोई बदलाव नहीं
नई दिल्ली : नेपाल के सुदूर पश्चिम और तिब्बत के समीप स्थित कालापानी नई दिल्ली और काठमांडू के बीच बहस का केंद्र बन गया है। जम्मू-कश्मीर के लिए जारी भारत सरकार के नए नक्शे में कालापानी को भारतीय क्षेत्र बताने पर गत आठ नवंबर को कांठमांडू में प्रदर्शन हुए। नेपाल की सियासी पार्टियों ने प्रधानमंत्री केपी ओली से तत्काल इस मसले को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उठाए जाने की मांग की है। भारत के नए नक्शे में 372 वर्ग किलोमीटर वाले क्षेत्र कालापानी को उत्तराखंड में स्थित बताया गया है।
कालापानी नेपाल से सुदूर पश्चिम और तिब्बत के नजदीक स्थित है। भारतीय नक्शे में कालापानी को जगह दिए जाने क बाद नेपाल में विरोध-प्रदर्शन हुए हैं जबकि भारत का कहना है कि नए नक्शे से नेपाल के साथ मौजूदा भारतीय सीमा में कोई परिवर्तन नहीं होगा। नया नक्शा सामने आने के बाद नेपाली कांग्रेस और सत्तारूढ़ नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के छात्र एवं युवा सड़कों पर आ गए और विरोध-प्रदर्शन किया। नेपाल सरकार ने नया नक्शा जारी करने के भारत सरकार के फैसले को 'एकतरफा' बताया है और दावा किया है कि वह अपनी 'अंतरराष्ट्रीय सीमा' का बचाव करेगी।
भारत ने जारी किया है नया नक्शा
बता दें कि भारत ने हाल ही में अपना नया नक्शा जारी किया। इस नक्शे में दो नए केंद्रशासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दर्शाया गया है। इसके बाद बुधवार को नेपाल सरकार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कालापानी नेपाल की सीमा में है और यह सुदूर पश्चिम में स्थित है। नए भारतीय नक्शे पर नेपाल में हुए विरोध-प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि नया नक्शा नेपाल के साथ भारतीय सीमा में कोई बदलाव नहीं करता।
भारत का बातचीत से मुद्दे का हल निकालने पर जोर
गत आठ नवंबर को मीडिया को संबोधित करते हुए रवीश ने कहा, 'हमारा नया नक्शा भारतीय सीमा की संप्रुभता का सही-सही वर्णन करता है। इस नए नक्शे से नेपाल के साथ हमारी सीमा में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। नेपाल के साथ मौजूदा तंत्र के तहत सीमा के निर्धारण पर काम जारी है। हम अपने नजदीकी एवं मित्रवत द्विपक्षीय संबंधों के आधार पर बातचीत के जरिए इसका हल निकालने पर जोर देते हैं।'
भारत के साथ मसले को उठाने की मांग
गत शनिवार को नेपाल की विभिन्न पार्टियों ने इस मसले पर बैठक की और प्रधानमंत्री केपी सिंह ओली से कालापानी मसले को तत्काल पीएम मोदी के साथ उठाने की अपील की। भारत के साथ नेपाल की पश्चिमी सीमा सुगौली संधि के तहत निर्धारित है। यह संधि 1816 में नेपाल और इस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई थी। नेपाली अधिकारियों का दावा है कि इस कम आबादी वाले क्षेत्र के लोगों को 58 साल पहले नेपाल की जनगणना में शामिल किया गया।
एक नया तंत्र सीमा विवाद पर कर रहा है काम
साल 2000 में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने इस मसले पर चर्चा की। वर्ष 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नेपाल को भरोसा दिया कि भारत अपने पड़ोसी देश की एक इंच भूमि पर भी कब्जा नहीं करेगा। इसके बाद इस मसले को सुलझाने के लिए दोनों देशों के विदेश सचिवों के अधीन एक नया तंत्र बनाया गया। बताया जाता है कि नेपाल के साथ सीमा विवाद के 98 प्रतिशत मामलों को भारत ने सुलझा लिया है। अब जिन क्षेत्रों में विवाद है उसमें कालापानी और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे इलाके शामिल हैं। साल 2014 में अपनी नेपाल यात्रा के दौरान पीएम मोदी सुस्ता एवं कालापनी मुद्दों को हल निकालने की बात कह चुके हैं।