- 24 जून को जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है अहम बैठक
- इस बैठक को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं, बड़ा फैसला कर सकती है सरकार
- अटकलें हैं कि सरकार जम्मू को अलग राज्य बना सकती है, कश्मीर पर भी फैसला संभव
नई दिल्ली : कश्मीर में राजनीतिक चहलकदमी एक बार फिर तेज हो गई है। श्रीनगर से दिल्ली तक इस चहलकदमी की आहट सुनी जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी ने जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों को 24 जून को चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया है जिस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी सहित घाटी के सभी राजनीतिक दलों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। दरअसल, पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर राजनीतिक पहल की शुरुआत हुई है। इस बैठक को लेकर हलचल तेज है। मीडिया रिपोर्टों में राज्य के बंटवारे सहित कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
5 अगस्त 2019 को दो हिस्सों में बंटा राज्य
दरअसल, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने आश्वासन दिया था कि राज्य में स्थितियों के सुधरने पर पहले की व्यवस्था लागू की जाएगी। जबकि पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित गुपकार अलायंस के घटक दल राज्य में अनुच्छेद 370 की बहाली पर जोर दे रहे हैं। हालांकि, सरकार की मंशा अनुच्छेद 370 को बहाल करने की नहीं है। पांच अगस्त को 2019 के अपने फैसले में सरकार ने जूम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेश में विभाजित कर दिया। जम्मू-कश्मीर को विधानसभा युक्त केंद्रशासित बनाया गया जबकि लद्दाख में बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया गया।
विस चुनाव कराने पर हो सकती है घोषणा
अब चूंकि राज्य में स्थितियां पहले से काफी बेहतर हुई हैं। आतंकवाद पर बहुत हद तक लगाम लगा है। ऐसे में राज्य में विधानसभा चुनाव कराने के बारे में घोषणा हो सकती है। कुछ समय पहले राज्य में जिला परिषद का चुनाव हुआ जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। स्थितियां अनुकूल होते देख केंद्र सरकार विधानसभा चुनाव कराने के बारे में फैसला कर सकती है।
जम्मू को अलग राज्य बनाने की चर्चा
मीडिया रिपोर्टों में चर्चा है कि सरकार जम्मू को अलग राज्य बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकती है। इसके अलावा अटकलें राज्य में नए सिरे से परिसीमन किए जाने की भी हैं। परिसीमन से नई सीटें अस्तित्व में आ सकती हैं। इससे जम्मू और कश्मीर की मौजूदा सीटों में बदलाव भी हो सकता है। चर्चा यह भी है कि सरकार कश्मीर में कई केंद्रशासित प्रदेश बना सकती है। जम्मू-कश्मीर को लेकर ये अटकलें हैं। राज्य को लेकर आखिर सरकार का प्लान क्या है, इसके बारे में अभी निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता।
घाटी में सुरक्षाबलों की हलचल तेज हुई
हाल के दिनों में कश्मीर में बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों की हलचल तेज हुई है। रिपोर्टों में कहा गया है कि अर्धसैनिक बलों की करीब 200 कंपनियां घाटी में पहुंची हैं। 5 अगस्त 2019 के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की मूवमेंट हुई है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले करीब 400 कंपिनयां घाटी में पहुंची थीं। राज्य में इतनी बड़ी संख्या में जवानों की अतिरिक्त तैनाती भी कुछ अलग संकेत दे रही है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि हाल ही में संपन्न पांच राज्यों के चुनाव में यहां के सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी लगी थी जो अब वापस आ रहे हैं।
बैठक के पीछे एनएसए डोभाल की भूमिका?
जम्मू-कश्मीर पर लग रही अटकलों के बीच कुछ दिन पहले पाकिस्तान में सुगबुगाहट हुई है। पाकिस्तान को आशंका है कि कश्मीर पर भारत कोई बड़ा फैसला कर सकता है। इसे लेकर उसने संयुक्त राष्ट्र को चिट्ठी भी लिखी है। चर्चा यह भी है कि कश्मीर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने कोई योजना पेश की है जिस पर सरकार आगे बढ़ना चाहती है। बहरहाल, मोदी सरकार अपने फैसलों से चौंकाती रही है। जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार के मन में क्या चल रहा है यह 24 जून की बैठक के बाद सामने आ सकता है।