- कोरोना मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर इस्तेमाल करते हैं पीपीई किट
- कोरोना वायरस के संक्रमण और खतरे से बचने के लिए डॉक्टरों के पास होता है पीपीई किट
- इसमें ग्लव्स, आई शील्ड, मास्क से लेकर कई तरह के अन्य जरूरी सामान होता है
नई दिल्ली : PPE का पूरा नाम (Personal Protection Equipments) पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट होता है। ये एक प्रकार का मेडिकल किट होता है जिसे खास तौर पर डॉक्टर्स इस्तेमाल करते हैं। इस किट में मास्क, आई शील्ड, शू कवर, गाउन, ग्लव्स होते हैं जिसे पहन कर डॉक्टर कोरोना मरीजों का इलाज करते हैं। भारत में फिलहाल पीपीई किट का काफी कमी हो गई है जिसके कारण कोरोना मरीजों के टेस्टिंग भी धीमी पड़ गई है।
कोरोना के संक्रमण से डॉक्टरों को अपने आप को बचाने के लिए उन्हें इस तरह की चीजें पहननी पड़ती है इसके बाद ही बिना सुरक्षित तरीके से कोरोना मरीजों का इलाज कर सकते हैं। आपको बता दें कि भारत में तीन कोरोना मरीजों से शुरू हुई इस महामारी से अब संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर पांच हजार के के आस पास तक पहुंच गई है।
क्या होता है PPE किट
पीपीई किट कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के लिए एक प्रोटेक्शन किट होता है जिससे उन्हें कोरोना वायरस का खतरा कम हो। इस किट में चार से पांच चीजें रहती है जिसका इस्तेमाल मरीजों का इलाज करते समय डॉक्टरों को करना होता है।
क्या होता है किट में
पीपीई किट में फेस मास्क होता है जो डॉक्टर चेहरे पर पहनते हैं जिससे उनका पूरा चेहरा ढका रहता है और सुरक्षित रहता है। आई शील्ड होता है जो आंखों को ढंके रखता है ये ट्रांसपेरेंट रहता है जिससे डॉक्टर सब कुछ देख सकता है लेकिन उनकी आंखें वायरस के खतरे से सुरक्षित रहती है। शू कवर इससे डॉक्टर अपने जूते कवर करके रखते हैं चूंकि ये वारस काफी खतरनाक होता है किसी भी तरह से अगर आपसे इसका संपर्क हो गया तो फिर आप इसके संक्रमण से नहीं बच पाएंगे इसलिए डॉक्टर सर से लेकर पांव तक अपने आप को ढंक कर रखते हैं। गाउन भी होता है जिसे मरीजों के इलाज के दौरान डॉक्टर्स पहनते हैं और जो चारों तरफ से पैक होता है शरीर का कोई भी हिस्सा विजिबल नहीं होता है। इसके अलावा ग्लव्स भी होता है जिसे डॉक्टर अपने हाथों में पहनते हैं।
PPE कितने तरह के होते हैं
आई एंड फेस प्रोटेक्शन (आंखों व चेहरे की सुरक्षा)- इसमें खास तौर पर आंखों की सुरक्षा के लिए किट होते हैं। इसे इस तरह से बनाया जाता है कि मरीजों के इलाज के दौरान किसी भी प्रकार से केमिकल या वायरस का खतरा डॉक्टर के चेहरे व आंखों तक ना जा पाए।
हैंड प्रोटेक्शन (हाथों की सुरक्षा)- रसायन द्वारा सुरक्षित ग्लव्स (दस्ताने) होते हैं जो खास तर पर रिसर्च लैब में या फिर डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर में पहनते हैं।
बॉडी प्रोटेक्शन (शरीर की सुरक्षा)- ये कॉटन के या फिर पॉली ब्लेड के होते हैं जिसमें ना वायरस केमिकल का ज्यादा खतरा रहता है और ना ही आग लगने का खतरा होता है।
रेस्पिरेटरी प्रोटेक्शन (सांसों संबंधी सुरक्षा)- हवा के द्वारा वायरस का संक्रमण ना हो इसके लिए रेस्पिरेटरी प्रोटेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है।
PPE किट का इस्तेमाल कब करना चाहिए
जब खून, या फिर सांस संबंधी बीमारी का इलाज कर रहे हों तो डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ को और हेल्थकेयर वर्कर को पीपीई किट का इस्तेमाल कर लेना चाहिए। कोरोना महामारी के दौर में WHO ने भी अपनी गाइडलाइंस में ऐसे लोगों को खास तौर पर पीपीई किट का इस्तेमाल करने को कहा है। कोरोना चूंकि ऐसा वायरस है जो संक्रामक बीमारी फैलाता है इसलिए इसके मरीजों का इलाज करते समय डॉक्टरों को भी इससे संक्रमण का खतरा बना रहता है।
पीपीई पर क्यों चर्चा छिड़ी है
केंद्र को इस समय 50,000 पीपीई किट की जरूरत है। केंद्र के पास इस वक्त केवल 20,000 पीपीई किट है जो इस महामारी के दौर में पर्याप्त नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में कहा है कि उनके पास पर्याप्त मात्रा में पीपीई किट है और ऐसा कुछ नहीं है कि पीपीई किट की किल्लत पड़ गई है। आगे आने वाले मुश्किल घड़ी में किसी प्रकार की दिक्कत ना आए इसलिए हम स्टॉक में पीपीई किट की व्यवस्था पहले से कर लेना चाहते हैं जबकि वर्तमान में अभी ऐसी कोई दिक्कत की बात नहीं है। मंत्रालय ने बताया कि भारत में कुछ कंपनियों ने पीपीई किट के निर्माण, एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट का जिम्मा उठाया है। एक कंपनी ने 11,500 किट हमें दिए हैं जबकि अन्य ने 7500 और 300 किट केंद्र को उपलब्ध कराए हैं।