- कर्नाटक, उत्तराखंड के बाद इस तरह के कयास थे कि मध्य प्रदेश में भी नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है।
- शिवराज सिंह चौहान और कैलाश विजय वर्गीय ने एक साथ आकर बदलते राजनीतिक समीकरण को बल दे दिया है।
- बंगाल चुनाव में भाजपा की सत्ता से दूरी ने मध्य प्रदेश राजनीति में नए बदलाव के संकेत दे दिए हैं।
नई दिल्ली: लगता है मध्य प्रदेश को नए "जय और वीरू" मिल गए हैं। मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के वरिष्ठ नेता कैलाश विजय वर्गीय इस नए रोल में आ गए हैं। बुधवार रात से कैलाश विजय वर्गीय के साथ शिवराज सिंह चौहान का यह गाना खूब वायरल हो रहा है। ऐसे में अगर उनके गाने पर राजनीतिक कयास न लगाए जाए तो उनकी कवायद भी बेकार हो जाती । जिस अंदाज में कैलाश विजय वर्गीय ने शिवराज सिंह चौहान का हाथ उठाकर गाना गया और उसके बाद मुख्य मंत्री ने उनके ताल से ताल मिलाया, उससे तो साफ है कि मध्य प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण बनने लगे हैं। जिसमें दोनों ने एकला चलो की नीति छोड़कर हम साथ-साथ हैं के सुर को अपना लिया है।
कर्नाटक, उत्तराखंड के बाद मध्य प्रदेश को लेकर थे कयास
असल में जिस तरह भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने कर्नाटक में बी.एस.येदियुरप्पा और उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत को कुर्सी छोड़ने पर मजबूर किया था। उसके बाद मध्य प्रदेश भाजपा में कई सारी अटकलें शुरू हो गईं थी। इस बीच इन अटकलों को इसलिए भी बल मिला कि मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान का जुलाई के महीने में 10 दिन के भीतर 3 बार दिल्ली का दौरा लग चुका था। जहां उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात हुई थी। यही नहीं मुख्य मंत्री ने प्रदेश में पहले से तय वरिष्ठ अधिकारियों के ट्रांसफर के फैसले भी होल्ड कर दिए थे। और पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेता प्रहलाद सिंह पटेल की आलाकमान से मुलाकात ने कयासों को बल दे दिया था।
बंगाल हार से कैलाश के मंसूबे पर पानी फिरा
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी कैलाश विजय वर्गीय को पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सत्ता से उखाड़ने के लिए भेजा गया था। प्रभारी के रूप में उन्होंने विधान सभा चुनावों में 200 से ज्यादा सीटें जीतने का वादा किया था। इसके बाद से राज्य में इस बात की अटकलें शुरू हो गई थी कि अगर बंगाल में भाजपा को सत्ता मिलती है तो मध्य प्रदेश में कैलाश विजय वर्गीय को बड़ा पुरस्कार मिलेगा। लेकिन हार ने सारे समीकरण बिगाड़ दिए । भाजपा को पश्चिम बंगाल में केव 72 सीटें मिली। इसके बाद से कैलाश राज्य में अपनी फिर से जमीन मजबूत करने में लग गए हैं।
ओबीसी फैक्टर ने शिवराज को बचाया
सूत्रों के अनुसार राज्य में मुख्य मंत्री की लोकप्रियता और उनका ओबीसी होने ढाल बन गया। जिसकी वजह से फिलहाल कुछ समय के लिए इस सब अटकलों पर विराम लग गया है। चूंकि कैलाश विजय वर्गीय सामान्य वर्ग से आते हैं ऐसे में भाजपा ओबीसी मुख्य मंत्री को हटाकर कोई बड़ा जोखिम नहीं लेना चाहती है। इसीलिए एक समय उमा भारती के बेहद करीबी और ओबीसी नेता प्रहलाद पटेल के नाम उछाला गया था। पर लगता है आरएसएस में मजबूत पकड़ रखने वाले शिवराज ने चीजों को संभाल लिया है।
दोस्ती ही आएगी काम
बदलते समीकरण के बीच अब दोस्ती ही काम आएगी। यह बात शायद दोनों वरिष्ठ नेताओं को समझ आ गई है। क्योंकि एक-जुट होकर आगे की चुनौतियों से निपटना आसान होगा। ऐसे में आने वाले समय में ऐसे कुछ और पल आपको देखने को मिले तो अचरज में मत पढ़िएगा, वैसे भी ये राजनीति है।