Gyanvapi Masjid Survey : ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे को लेकर बुधवार को कोर्ट में सुनवाई होनी थी लेकिन वकीलों की हड़ताल की वजह से सुनवाई नहीं हो पाई। कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करने वाला है। कोर्ट में दायर अर्जी में सर्वे की कार्रवाई आगे बढ़ाने की मांग की गई है। इसके पीछे ये तर्क दिया गया है कि वजूखाने के ठीक नीचे एक कमरा है। उसकी दीवार को तोड़ा जाए और मलबे को बाहर निकाला जाए। मलबा जब तक हटेगा नहीं तब तक शिवलिंग की गहराई का पात नहीं चल सकेगा।
इतिहासकार ने बताया सच!
कहा जा रहा है कि शिवलिंग मलबे से घिरा हुआ है। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ इतिहासकार राजीव श्रीवास्तव ने टाइम्स नाउ नवभारत से खास बातचीत की है। इतिहासकार ने कहा कि हिंदुओं को प्रताड़ित और अपमानित करने के लिए औरंगजेब ने मंदिरों को तोड़ने का फरमान दिया। छोटी मूर्तियों को वह मस्जिदों की सीढ़ियों पर लगवा देता था जिससे आते-जाते नमाजियों के पैर उन मूर्तियों पर पड़े। यह शिवलिंग काफी भारी भरकम था और उठ नहीं सकता था तो उसने वहीं पर वजूखाना बनवा दिया।
टिकता नहीं है फव्वारे का दावा
ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के तीसरे दिन वजूखाने में जो शिवलिंग मिला उसके बारे में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी सहित मुस्लिम पक्ष यह दावा कर रहा है कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा है। क्या वह वास्तव में फव्वारा है? इसे जानने के लिए टाइम्स नाउ नवभारत ने पुराने समय में मुस्लिम इंजीनियरिंग से बने फव्वारों की जांच की। यही नहीं चैनल ने पुरानी मस्जिदों के वजूखानों में मौजूद फव्वारों से भी इसकी तुलना की लेकिन कहीं से भी ये फव्वारे शिवलिंग की तरह नहीं दिखते। फव्वारों की बनावट और ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग में बड़ा अंतर है।