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रुपया में रिकॉर्ड गिरावटः कांग्रेस के दिग्विजय ने पूछा- PM की चुप्पी से सब हैरान, कहां गया दहाड़ने वाला शेर?

अभिषेक गुप्ता | Principal Correspondent
Updated Jul 20, 2022 | 10:10 IST

रुपया एक रोज पहले (19 जुलाई, 2022) को पहली बार 80 रुपए प्रति डॉलर के स्तर तक गिर गया था। यह रुपया का सार्वकालिक निचला स्तर है। वैसे, बीते कुछ दिनों से रुपया में लगातार कमी देखने को मिल रही थी।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
मुख्य बातें
  • 'रसताल' में पहुंच गया भारत का रुपया
  • मुद्दा बना विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेरा
  • PM की चुप्पी से सब हैरान- कांग्रेस नेता

भारतीय रुपया में रिकॉर्ड गिरावट को लेकर कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह ने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा है। उन्होंने बुधवार (20 जुलाई, 2022) सुबह सवाल उठाया कि इस गंभीर मसले पर पीएम की चुप्पी से सभी लोग हैरान-परेशान हैं। आखिरकार साल 2014 से पहले दहाड़ने वाला शेर कहां चला गया? 

दरअसल, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट टि्वटर पर रुपया के रसताल में जाने से जुड़ी एक खबर साझा की थी। उन्होंने इस ट्वीट में पीएम मोदी को टैग करते पूछा, "रुपया कुछ ज़्यादा ही तेजी से नहीं गिर रहा है? आपकी चुप्पी से हम सब हैरान हैं। कहॉं गया वह शेर, जो 2014 के पहले दहाड़ता था?" 

सिंह से पूछने लगे ट्रोल- 2014 से पहले Rupee 25 रुपया था?
कांग्रेस नेता के इस ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स ने भी तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दीं। @drhiteshbajpai ने जवाब दिया, "डॉलर को छोड़कर बाकी मुद्राओं के विरुद्ध रुपया मजबूती से भी खड़ा है सर जी। पूरा बाजार का टेबल देखिए।" @AK96760642 ने पूछा- पैसा गिर रहा है, ये बीजेपी के लिए एक नाकामी है, पर आप लोग (कांग्रेस) कौन सा रुपया को गिरने से रोक पाए थे?

@VishalG82715714 के हैंडल से कहा गया, "वह शेर आप जैसे लोगों का शिकार करने के बाद अपनी गुफा में आराम कर रहा है। जल्दी ही बाहर निकलेगा, सावधान रहना।" @_abhishekbansal नाम के हैंडल से सवाल उठाया गया कि आपके अनुसार क्या 2014 से पहले रुपया 25 रुपया था क्या?

रुपया गिरने से इकनॉमी पर क्या पड़ेगा असर?
चूंकि, भारत के आयात का एक बड़ा हिस्सा डॉलर मूल्यवर्ग का है। ऐसे में ये आयात महंगे हो जाएंगे। बढ़िया उदाहरण कच्चे तेल का आयात बिल है। महंगा आयात, बदले में, व्यापार घाटे (ट्रेड डेफिसिट) के साथ चालू खाता घाटे को भी बढ़ाएगा, जो बदले में, विनिमय दर (एक्सचेंज रेट) पर दबाव डालेगा। वैसे, निर्यात के मोर्चे पर भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणब सेन की मानें तो किसी के लिए, द्विपक्षीय व्यापार में, रुपया कई मुद्राओं की तुलना में मजबूत हो गया है। 

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