नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर को लेकर बड़ा फैसला लिया है। राज्य में नक्सली हिंसा की वजह से डेढ़ दशक से बंद पड़े 260 स्कूलों में अब फिर से घंटी बजेगी। बस्तर संभाग के अति नक्सल प्रभावित इलाकों में बंद स्कूलों को मुख्यमंत्री की पहल के बाद फिर से शुरू किया गया है। बस्तर संभाग में आने वाले बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले के ये ऐसे स्कूल हैं, जिनके भवन नक्सलियों ने ध्वस्त कर दिये थे।
आज राज्य स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव के मौके पर सीएम भूपेश बघेल ने इन स्कूलों को दोबारा से खोले जाने की घोषणा की है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इन स्कूलों के खुलने से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा का बुनियादी ढांचा मजबूत होगा।
11 हजार छात्रों का होगा फायदा
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में पिछले 15-20 सालों से 400 स्कूल बंद पड़े हुये हैं। पिछली सरकारों ने इनको दोबारा शुरू करने पर ध्यान नहीं दिया। जिसका सबसे बड़ा खामियाजा दूरदराज के इलाकों में रहने वाले आदिवासी बच्चों का हुआ जिनकी पढ़ाई छूट गई। ऐसे में इन इलाकों के बच्चों को शिक्षा के उनके संवैधानिक अधिकार को सुलभ कराने के लिए इस शिक्षा सत्र से 260 स्कूलों को खोला गया है। जिनमें बीजापुर में 158, सुकमा में 97, नारायणपुर में 4 और दंतेवाड़ा का एक स्कूल शामिल है। इन स्कूलों में 11 हजार 13 विद्यार्थी पढ़ाई कर सकेंगे।
स्कूलों में प्रबंधन पर खास ध्यान
सभी 260 स्कूलों में पढ़ाई सुचारू रूप से हो सके इसके लिए सभी जरूरी सुविधाएं जैसे -बच्चों की उपस्थिति दर्ज करना, पोर्टा केबिन का इंतजाम केबिन या अपने गांव या घर परिवार से दूर रहक पढ़ रहे बच्चों का नजदीकी स्कूल में एडमिशन, स्कूलों में शिक्षादूतों के साथ-साथ शिक्षकों की व्यवस्था गई है।