- कोरोना की कई वैक्सीन पर अलग अलग दुनिया भर में काम चल रहा है
- कुछ वैक्सीन अगले साल के शुरुआत में आने की उम्मीद है
- कोरोना वायरस पर ऑक्सफोर्ड के वैक्सीन से भी लोगों को उम्मीद है
नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी का वैक्सीन कब आएगा, इसका जवाब फिलहाल देना मुश्किल है। लेकिन इतना साफ है कि जिस तरह से युद्ध स्तर पर कोशिशें हो रही है उससे यह लगता है कि टीका अगले साल के शुरू में आ सकता है। यहां तक कि अब टीकाकरण रोल आउट को लेकर भी देश और दुनिया भर में रणनीति बनाई जा रही है। इसे लेकर मंगलवार यानी 24 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेवाले हैं। आइए कुछ टीकों पर बात करते हैं जिसके मरीजों पर असरदार होने का दावा किया गया है। किसी ने अपने टीके को 70 फीसीदी कारगार बताया है तो किसी ने 90 फीसदी से भी ज्यादा।
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन मरीजों 90 फीसदी प्रभावी
दवा बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका के युनाइटेड किंगडम और ब्राजील में हुए कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षणों से ये पता चला है कि उसकी बनाई वैक्सीन कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों के लिए यह काफी असरदार है। वैक्सीन लगाने वाले किसी भी प्रतिभागी में कोई भी प्रतिकूल असर नहीं देखा गया। विश्लेषण में कुल 131 कोविड-19 मरीज शामिल थे।
एजेडडी 1222 की आधा खुराक 90 प्रतिशत तक प्रभावी पाई गई। इसके बाद कम से कम एक महीने बाद पूरी खुराक दी गई। एक अलग ट्रायल में एक महीने के अंतराल पर दो खुराक दी गई, जो 62 फीसदी तक कारगर साबित हुई। दोनों को साथ जोड़कर विश्लेषण करने पर पता चला कि ये वैक्सीन 70 फीसदी तक प्रभावी है।एक स्वतंत्र डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड ने तय किया कि इस विश्लेषण से साबित हुआ कि कोविड-19 से संक्रमण के 14 दिन तक दोनों तरह के खुराक देने से इस वायरस से सुरक्षा मिली। टीका से संबंधित कोई गंभीर खतरे की पुष्टि नहीं की गई है। ऑक्सफोर्ड में वैक्सीन ट्रायल के मुख्य अन्वेषक प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने दावा किया है कि हमारी टीका लगभग 90 प्रतिशत तक प्रभावी है और अगर सब ठीक ठाक रहा तो अधिक लोगों तक टीके की आपूर्ति हो सकेगी। ये सब कई स्वयंसेवकों और दुनिया भर के शोधकर्ताओं की कड़ी मेहनत और प्रतिभाशाली टीम का नतीजा है।"
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का टीका
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित किये जा रहे कोविड-19 के टीके के तीसरे चरण के परीक्षण के अंतरिम परिणाम सोमवार को प्रस्तुत किये गए जिसमें यह संक्रमण की रोकथाम में 'प्रभावी' पाया गया है। एस्ट्राजेनेका कंपनी की मदद से टीके का विकास किया जा रहा है। दो बार की खुराक के सामूहिक आंकड़ों को देखें तो टीके का प्रभाव 70.4 प्रतिशत देखा गया। वहीं दो अलग-अलग खुराकों में इसका प्रभाव एक बार 90 प्रतिशत और दूसरी बार 62 प्रतिशत रहा।शुरुआती संकेतों से लगता है कि यह टीका बिना लक्षण वाले संक्रमण के मामलों में वायरस के प्रसार को कम कर सकता है।
ऑक्सफोर्ड टीका समूह के निदेशक और परीक्षण के मुख्य अध्ययनकर्ता प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड के मुताबिक ये निष्कर्ष दिखाते हैं कि हमारे पास एक प्रभावी टीका है जो कई लोगों की जान बचाएगा। उत्साह की बात है कि टीके की एक खुराक 90 प्रतिशत तक प्रभावी हो सकती है और इसका इस्तेमाल किया गया तो योजनाबद्ध आपूर्ति के साथ अधिक से अधिक लोगों को टीका दिया जा सकता है। (एजेंसी इनपुट के साथ)