- सीडीएस बिपिन रावत 42 साल से सेना को दे रहे थे अपनी सेवा
- जिस बटालियन की बिपिन रावत के पिता ने कमान संभाली थी, उसी में उनकी नियुक्ति हुई थी।
- 2016 में थल सेना अध्यक्ष नियुक्त हुए थे।
देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief Of Defence Staff) बिपिन रावत, जिस हेलिकॉप्टर में सवार थे, वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उसमें उनका निधन हो गया है। इस दुर्घटना में 13 लोगों की मौत हो गई है। इसके पहले घायल अवस्था में बिपिन रावत को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया था । रावत 1 जनवरी 2020 को देश के पहले सीडीएस की नियुक्ति हुए थे। इसके पहले रावत 27वें थल सेनाध्यक्ष थे। वह साल 2016 में थल सेना अध्यक्ष बने थे।
जिस बटालियन की पिता ने संभाली थी कमान, उसी में हुए नियुक्त
सीडीएस बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ। जरनल बिपिन रावत राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं। उन्हें दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था। उसी बटालियन की कमान उनके पिता ने संभाली थी। आतंकवाद विरोधी अभियानों में काम करने का उनके पास अच्छा-खासा अनुभव है। भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से स्नातक होने के दौरान, उन्हें प्रतिष्ठित 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया जा चुका है।
42 साल से दे रहे हैं सेना के लिए सेवा
अपने चार दशकों की सेवा के दौरान, रावत ने एक ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-सी) दक्षिणी कमान, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, कर्नल सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव के रूप में कार्य किया है। वह संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का भी हिस्सा रहे हैं और उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली है। वह जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा के साथ एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान भी संभाल चुके हैं। और वह उत्तर-पूर्व में कोर कमांडर भी रह चुके हैं। एक सेना कमांडर के रूप में, वह पश्चिमी मोर्चे के साथ डेजर्ट सेक्टर में संचालन की देखरेख के लिए जिम्मेदारी उठा चुके हैं।
मिलें ये पदक
रावत को विशिष्ट सेवा और वीरता के लिए, कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इसके तहत पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम और वीएसएम शामिल हैं। इनके अलावा, उन्हें दो अवसरों पर थल सेनाध्यक्ष प्रशस्ति और सेना कमांडर के प्रशस्ति से भी सम्मानित किया जा चुका है। कांगो में संयुक्त राष्ट्र के साथ सेवा करते हुए, उन्हें दो बार फोर्स कमांडर्स कमेंडेशन से सम्मानित किया गया था।