- पुष्पम प्रिया सीएम की दावेदारी से अधिक अपनी काली पोशाक को लेकर चर्चा में रहती हैं
- लंदन से पुष्पम ने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स डिग्री की पढ़ाई की है
- पुष्पम का बिहार को यूरोप के देशों जैसा बनाने का सपना है
"Plurals Party Chunav Chinh" बिहार विधान सभा चुनाव से पहले बिहार का तापमान बढ़ा हुआ है। हर दिन कुछ नया सुनने, देखने को मिल रहा है। चुनावी सरगर्मियां बिहार में तेज हैं। आजकल मंझे हुए नेताओं से परे फोकस एक उभरते हुए खिलाड़ी पर भी है। बिहार के चुनावी दंगल में इस बार कदम रखने वाली पुष्पम प्रिया का नाम खूब चर्चा में है। आइए, जानते हैं कौन हैं ये और बिहार को लेकर कैसा है इनका विजन।
कौन हैं पुष्पम प्रिया ?
जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और विधान परिषद के सदस्य रह चुके विनोद चौधरी की पुत्री हैं पुष्पम प्रिया चौधरी । अचानक से बिहार की राजनीति में पदार्पण करने वाली प्रिया लंदन रिटर्न हैं। लंदन से पुष्पम ने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स डिग्री की पढ़ाई की है। खुद को बिहार के मुख्यमंत्री पद की दावेदार घोषित करने वाली पुष्पम दरभंगा की रहने वाली हैं।
सिर से पांव तक सब काला
पुष्पम प्रिया सीएम की दावेदारी से अधिक अपनी पोशाक को लेकर चर्चा में रहती हैं। जब भी वो किसी क्षेत्र का दौरा करने पहुंचती हैं, सिर से पांव तक सब काला होता है। आमतौर पर भारत में नेताओं को सफेद या फिर खादी के पोषक में देखा जाता है, लेकिन पुष्पम को सब काला पसंद है। चप्पल से लेकर घड़ी तक काला ही पहनती हैं। तकरीबन हर जगह वह काले लिबास में ही देखी जाती है।
अंग्रेजी के ‘P’ से है खासी मोहब्बत
अंग्रेजी के इस लेटर से पुष्पम प्रिया को काफी मोहब्बत है। वो अपने पिता का सरनेम लगाने की बजाय प्रिया लगाती हैं। चौधरी बहुत कम ही लगाती हैं। इसके अलावा अपनी पार्टी का नाम भी उन्होंने अपनी पार्टी का नाम भी P से ही रखा। अपनी पार्टी का नाम प्रिया ने प्लूरल्स पार्टी रखा। वो इसकी अध्यक्षा हैं।
बिहार को यूरोप जैसा बनाने का सपना
पुष्पम प्रिया बिहार की सभी विधानसभा सीट से अपने उम्मीदवार उतारना चाहती हैं। उनका कहना है कि वो पूरी तरह से बिहार की जनता को एक बेहतर विकल्प देना चाहती हैं। प्रिया बिहार को अगले कुछ सालों में यूरोप जैसा बनाना चाहती हैं। जिस तरह से वहां के देश हैं वैसे ही प्रिया बिहार का भी नक्शा बदलना चाहती हैं।
पुष्पम प्रिया पर भागलपुर में आदर्श आचार संहिता का उलंघन करने पर प्रिया पर मामला भी दर्ज हो गया। यूरोप जैसा बनाने का सपना लिए शायद ये भूल गई कि आदर्श आचार संहिता के लागू होने के बाद से क्या करना चाहिए और क्या नहीं। खैर अभी पहली बार है तो ऐसी गलतियां होना लाजमी है।
वैसे पुष्पम प्रिया को अपनी पोशाक से नहीं बल्कि अपने विचार और कार्यों से राजनीति में हलचल मचाना चाहिए। चुनाव कोई आम परीक्षा नहीं है, जो आप चंद घंटों या दिनों में पढ़कर पास कर सकते हैं। राजनीति में सफल होने के लिए जनता के बीच जाना पड़ता है, कई बरस बीत जाते हैं जनता का मूड पढ़ने और उसके अनुसार कार्य करके उन्हें प्रसन्न करने। यकीकन बरसों तक लंदन में रहीं पुष्पम के लिए जनता का मूड पढ़ पाना एक बड़ी चुनौती होगी।
खैर अब पुष्पम प्रिया चुनावी अखाड़े में उतरी हैं तो कुछ सोच-समझकर ही उतरी होंगी। अब आने वाले चुनाव में बिहार की जनता उन्हें कितने नंबरों से पास करेगी, ये तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन पुष्पम ने भी नीतीश कुमार को कड़ी टक्कर देने की ठान ली है। अब ये जनता के उपर है कि वो पुष्पम को चुनाव के दौरान सर-आंखों पर बिठाती है या नहीं।