- ईरान भारत के साथ कच्चे तेल का कारोबार फिर से शुरू करना चाहता है।
- पिछले एक महीने में ईरान के तीन मंत्रियों से भारत के नेताओं और अधिकारियों से बातचीत
- 2019 से ईरान पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है।
RBI On Rupee Trade Settlement:पिछले एक महीने में भारत और ईरान के मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच लगातार चल रही बातचीत ,लगता है अब किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने वाली है। और भारत, ईरान की लंबे समय से चल रही मांग को स्वीकार कर सकता है। इस बात को भरोसा इसलिए भी मिल रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने इंटरनेशनल ट्रेड के लिए बड़ा फैसला कर लिया है। सोमवार को आरबीआई ने रूपये में इंटरनेशनल ट्रेड की अनुमति दे दी है। इसका मतलब यह है कि दो देश आपस में रूपये के जरिए आयात-निर्यात कर सकेंगे। और उन्हें ट्रेड के लिए डॉलर पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस कदम से भारत का न केवल व्यापार घाटा कम होगा, बल्कि रूपये में भी मजबूती आ सकती है।
आरबीआई ने क्या कहा
आरबीआई द्वारा नोटिफिकेशन से साफ तौर पर संकेत मिलता है कि भारत के साथ कई देश रूपये में कारोबार करना चाहते हैं। और उसे देखते हुए आरबीआई ने इनवॉयसिंग, पेमेंट और सेटलमेंट के लिए आयात और निर्यात को रूपये में करने की अनुमति दे दी है। जाहिर है रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद जिस तरह से पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाया है और ईरान पर पहले से ही प्रतिबंध जारी है। उसे देखते हुए आरबीआई का यह कदम रूस के बाद ईरान के साथ कच्चे तेल के आयात का रास्ता खोल सकता है।
एक महीने में ईरान के 3 नेता और अधिकारी से बातचीत
भारत और ईरान के बीच रिश्तों में गरमाहट पिछले एक महीने से काफी दिख रही है। पहले 8 जून को ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान भारत पहुंचे। जहां उनकी विदेश मंत्री एस.जयशंकर से बातचीत हुई है। इस बैठक में दोनों देशों के बीच चाबहार बंदरगाह से लेकर कच्चे तेल के आयात आदि सहित दूसरे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई थी। उसके बाद उप विदेश मंत्री मेहदी सफारी ने भारत का दौरा किया और फिर पिछले हफ्ते विदेश सचिव विनय क्वात्रा की ईरान के राजनीतिक मामलों के उप मंत्री डा. अली बाघेरी कानी से बात हुई है। जाहिर है नेताओं का बार-बार मिलना आने वाले समय में किसी अहम फैसले के ऐलान के रूप में सामने आ सकता है। हालांकि ईरान के साथ किसी तरह के कारोबार में सबसे बड़ी चुनौती अमेरिकी प्रतिबंध हैं।
विदेश मंत्री एस.जयशंकर का चर्चा में था बयान
विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने Globsec 2022 में वैश्विक स्तर पर तेल के संकट और रूस से भारत के तेल खरीदने को लेकर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि रूस से तेल खरीदकर कर क्या केवल भारत फंडिग कर रहा है। क्या यूरोप रूस से गैस नहीं खरीद रहा है, तो क्या यूरोप रूस को नहीं फंडिग कर रहा है।
इसके बाद उन्होंने ईरान और वेनेजुएला से तेल खरीद की भी हिमायत की थी।
वैसे भी भारत 2019 में ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लगने से पहले चीन के बाद सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक था। रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद ईरान ने 10 लाख बैरल प्रति दिन तक उत्पादन बढ़ाया है। ऐसे में अमेरिकी प्रतिबंधों को देखते हुए रूपये मे कारोबार का रास्ता खुलना भारत और ईरान के बीच व्यापार के रास्ते खोल सकता है।
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अमेरिका के विरोध के बावजूद रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है भारत
इस बीच अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के विरोध के बावजूद भारत रूस से सस्ते दर पर कच्चा तेल खरीद रहा है। सीएनबीसी की रिपोर्ट के अनुसार भारत मई में जहां प्रतिदिन रूस से 8 लाख बैरल कच्चा तेल खरीद रहा था, वह जून में बढ़कर 10 लाख बैरल तक पहुंच गया है। और रूस से वह अपनी कुल जरूरत का इस समय 25 फीसदी कच्चा तेल आयात कर रहा है। आरबीआई के फैसले के बाद दोनों देश रूपये में कारोबार कर सकेंगे।
रूस के साथ भारत जिस तरह से कच्चा तेल खरीद रहा है। उसी तरह ईरान भी भारत को कच्चा तेल आयात करना चाहता है। और वह रूस की तरह, सस्ते दर पर कच्चा तेल सप्लाई करने को तैयार है।
इसके अलावा ईरान, भारत और रूस के बीच व्यापार के लिए नया वैकल्पिक रूट भी खोल दिया है। हाल ही में ईरान की सरकारी शिपिंग कंपनी ने रूस से भारत तक ट्रेड करने के लिए अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) का इस्तेमाल किया। 7200 किलोमीटर लंबे इस ट्रेड रूट में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रास्ते ट्रेड की जरूरत नहीं पड़ी । अगर यही सामान रूस से स्वेज नहर के जरिए भारत पहुंचता तो इसे 16112 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती। ऐसे में अगर यह ट्रेड रूट ऐक्टिव हो जाता है तो न सिर्फ भारत और रूस के बीच ट्रेड में जबरदस्त इजाफा होगा, बल्कि ईरान और कजाकिस्तान के साथ भी ट्रेड बढ़ जाएगा