- ताजिकिस्तान के दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की हुई बैठक
- समारोह से इतर चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मिले विदेश मंत्री एस जयशंकर
- जयशंकर ने कहा कि एलएसी पर जारी गतिरोध का असर आपसी संबंधों पर पड़ा है
नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर की बुधवार को ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात हुई। अपनी इस मुलाकात में जयशंकर ने वांग यी से दो टूक शब्दों में कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध दूर नहीं होने का असर दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ा है। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने दुशांबे पहुंचे जयशंकर की समारोह से इतर वांग से मुलाकात हुई। इस एक घंटे की मुलाकात में भारतीय विदेश मंत्री ने सीमा विवाद के मुद्दे पर उनसे बात की।
विदेश मंत्री का एलएसी पर लंबित अन्य मुद्दों का हल निकालने पर जोर
जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष से कहा कि इस साल की शुरुआत में पेगांग लेक से सैनिकों की वापसी शुरू होने के साथ-साथ एलएसी के समीप गतिरोध वाले अन्य स्थानों का हल निकालना भी था लेकिन इसका समाधान अभी नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि एलएसी पर मौजूदा स्थिति किसी भी देश के हित में नहीं है और यह संबंधों पर नकारात्मक असर डाल रहा है। रिपोर्टों में कहा गया है कि दोनों विदेश मंत्रियों ने एलएसी के ताजा हालात और भारत एवं चीन के संबंधों पर विस्तृत चर्चा की।
यथास्थिति में बदलाव स्वीकार नहीं करेगा भारत
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि जयशंकर ने साफ शब्दों में कहा कि भारत एलएसी पर एकतरफा यथास्थिति में बदलाव स्वीकार नहीं करेगा। चीन की तरफ से पिछले साल यथास्थिति में बदलाव करने की कोशिश हुई और इससे 1993 एवं 1996 के समझौतों का उल्लंघन हुआ। इससे संबंधों पर असर पड़ा है।
सैन्य कमांडरों की बैठक बुलाने को तैयार हुए दोनों देश
अपनी एक घंटे की बातचीत में जयशंकर ने एलएसी पर लंबित गतिरोध के मुद्दों का हल जल्दी निकालने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय करारों एवं प्रोटोकाल का पालन करते हुए ऐसा करना दोनों देशों के हित में है। बैठक में दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि सेना के वरिष्ठ कमांडरों की बैठक जल्द से जल्द बुलाई जानी चाहिए। बैठक में दोनों देशों के बीच सभी लंबित मुद्दों पर बातचीत शुरू करने पर सहमति बनी। दोनों देशों ने कहा मुद्दों का समाधान ऐसा होना चाहिए जिसे दोनों देश स्वीकार्य करें।
विवाद से आपसी संबंध प्रभावित हुए
विदेश मंत्रालय ने कहा कि वार्ता के दौरान जयशंकर ने याद दिलाया कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि मौजूदा स्थिति को लम्बा खींचना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है और यह 'संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।' जयशंकर ने संबंधों का समग्र आकलन करते हुए जोर देकर कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना 1988 से संबंधों के विकास की नींव रहा है।