कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees' Provident Fund Organisation : EPFO) देश में सेवानिवृत्ति की आयु (Retirement Age) बढ़ाने के पक्ष में है। ईपीएफओ का मानना है कि इससे देश में पेंशन प्रणाली (Pension System) की व्यवहार्यता सुनिश्चित हो सकेगी। साथ ही पर्याप्त सेवानिवृत्ति लाभ दिया जा सकेगा। यह जानकारी हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में दी गई है। खबर के मुताबिक, ईपीएफओ के विज़न 2047 डॉक्यूमेंट के मुताबिक, "रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने (आगे जाने) पर अन्य देशों के अनुभव के अनुरूप विचार किया जा सकता है और यह पेंशन सिस्टम की व्यवहार्यता की कुंजी होगी।"
'ईटी' को एक सीनियर अफसर ने इस सुझाव के बारे में बताते हुए कहा- रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने का मतलब होगा देश में ईपीएफओ और दूसरे पेंशन फंड में लंबी अवधि के लिए ज्यादा पेंशन जमा करना और इससे महंगाई को कम करने में मदद मिलेगी। यह विजन डॉक्यूमेंट राज्यों के साथ साझा किया गया है और जल्द ही इस पर स्टेकहोल्डर्स के साथ विचार-विमर्श भी चालू होगा, जिसमें एंप्लॉयर्स (काम देने वालों) के साथ एंप्लाइज (कर्मचारियों) को भी शामिल किया जाएगा।
ईपीएफओ के पास लगभग 12 लाख करोड़ रुपए की पेंशन और पीएफ फंड कॉरपस (60 मिलियन सबस्क्राइबर्स का) की कस्टडी है। ईपीएफओ इस व्यापक योजना में पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण को शामिल कर सकता है, जो सरकार की राष्ट्रीय पेंशन योजना का संचालन करता है। वहीं, लेबर इकनॉमिस्ट केआर श्याम सुंदर ने बताया कि इस कदम के मिले-जुले असर होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि मांग की कमी वाली अर्थव्यवस्था में सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाना कुशल और न्यायसंगत साबित नहीं हो सकता है, क्योंकि यह युवाओं को नौकरी पाने के लिए लंबी अवधि तक इंतजार कराएगा और इससे कौशल की बर्बादी होगी।
पेंशन फंड पर पड़ सकता है भारी दबाव
माना जा रहा है कि हिंदुस्तान साल 2047 तक वृद्ध समाज बन जाएगा। तब 60 बरस से अधिक उम्र के अनुमानित 140 मिलियन लोगों के होने का मोटा-मोटी अनुमान है। ऐसे में देश में पेंशन फंड (Pension Fund) पर भारी दबाव पड़ने की आशंका है। 'देश बूढ़ा' होगा तो ऐसी स्थिति में इस एज गैप में आने वालों के लिए आय और हेल्थ सिक्योरिटी बेहद जरूरी होगी। यानी इस दौर में पेंशन निकासी अधिक की जाएगी।
रिटायरमेंट एज कैसे मदद करेगी?
सेवानिवृत्ति की उम्र अगर बढ़ेगी तब स्वाभाविक सी बात है कि उससे कर्मचारी के कंट्रीब्यूशन का टर्म भी बढ़ेगा। जमा कॉरपस में इससे वृद्धि होगी। चूंकि, एक्युमुलेशन पीरियड (संचय काल) अधिक रहेगा, इसलिए रिटर्न भी ज्यादा मिलेगा।