आय से अधिक मामले में चार साल की जेल की सजा पूरी करने के बाद शशिकला नटराजन बाहर आ गई हैं। करीब तीन दशकों तक तमिलनाडु की राजनीति को करीब से देखने वालीं शशिकला की जयललिता की सरकार में 'नंबर दो' की हैसियत रही। चूंकि वह अब जेल से बाहर आ गई हैं तो इस बात कि चर्चा शुरू हो गई कि क्या वह ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) पर अपना नियंत्रण दोबारा पाने और अपने बारे में पहले से चली आ रही 'सोच' को बदलने का प्रयास करेंगी। राज्य में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। हालांकि, शशिकला ने अपनी राजनीतिक पारी के बारे में अभी तो कुछ नहीं कहा है लेकिन उन्हें जानने वालों, उनके करीबियों एवं शुभचिंतकों में जो उत्साह नजर आया है उससे इस बात का संकेत मिलता है कि वह अपनी चुनावी पारी का आगाज कर सकती हैं।
शशिकला को लोग 'चिनम्मा' बुलाते हैं
शशिकला की शख्सियत ऐसी है कि तमिलनाडु के लोग उन्हें पसंद करते हैं। यह उनके व्यक्तित्व का आकर्षण ही है जिसके चलते उन्हें 'चिनम्मा' बुलाते हैं। राज्य की सियासत पर नजर रखने वाले लोग मानते हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में शशिकला भले ही जेल गई हों लेकिन राज्य में उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई है। लोगों के बीच आज भी उनकी पकड़ है और इस बात से एआईएडीएमके और डीएमके दोनों चिंतित हैं। शशिकला इस समय एआईएडीएमके से निष्कासित हैं। पार्टी में उनकी वापसी होने के आसार नहीं के बराबर हैं। ऐसे में क्या वह अपना नया मोर्चा खड़ा करेंगी यह देखने वाली बात होगी। ई पलानीस्वामी उन्हीं की पसंद माने जाते हैं लेकिन पार्टी में शशिकला को दोबारा शामिल करने को लेकर वह कह चुके हैं इसकी कोई संभावना नहीं है।
कई दशकों तक सियासत के करीब रहीं हैं
जयललिता जब बीमार थीं या उनके निधन के बाद सरकार के कामकाज की बागडोर शशिकला के हाथों में रही। पार्टी का नेतृत्व और सरकार की कमान संभालते हुए शशिकला ने एआईएडीएमके में अपना कद और मजबूत किया। इससे पार्टी में उनके निष्ठावानों की एक बड़ी खेप तैयार हुई। ऐसा भी हो सकता है कि एआईएडीएमके में वापसी न होने की सूरत में शशिकला अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाएं और आगामी विधानसभा चुनाव लड़ें। हालांकि, राजनीति में कोई स्थायी शत्रु या मित्र नहीं होता, ऐसे में पार्टी में उनकी दोबारा वापसी होती है तो उसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए।
वीडियो पॉर्लर की दुकान चलाती थीं शशिकला
शशिकला एक गैर-राजनीतिक परिवार से हैं। जयललिता से उनकी पहली मुलाकात सामान्य रूप में हुई लेकिन इस मुलाकात ने दोनों की दोस्ती का एक ऐसा स्थायी आधार तैयार किया जो कई दशकों तक चलता रहा। दरअसल 1984 में शशिकला विनोद वीडियो विजन नाम से एक वीडियो पार्लर चलाया करती थीं। उनकी यह दुकान चेन्नई के अलवरपेट में थी। जबकि उनके पति नटराजन सरकार में जनसंपर्क अधिकारी थे और उस वक्त कड्डलुर जिले में उनकी तैनाती थी।
जयललिता के साथ पोएस गार्डन आईं
जयललिता के एक कार्यक्रम को फिल्माने का मौका शशिकला को मिला था। इस कार्यक्रम के दौरान जयललिता के साथ उनकी एक संक्षिप्त मुलाकात हुई। 1987 में एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद पार्टी की कमान जयललिता के हाथों में आ गई और साल 1991 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बड़ी जीत दर्ज की। जयललिता के सीएम बनने के बाद शशिकला भी उनके साथ पोएस गार्डन आ गईं।