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भारत को लुभाने में जुटी लॉकहीड मार्टिन, क्या F-21 फाइटर जेट बनेगा वायुसेना का हिस्सा?

Updated Sep 27, 2019 | 14:21 IST

दुनिया की सबसे बड़ी हथियार निर्माता कंपनियों में शुमार अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन का कहना है कि तेजस और राफेल के साथ मिलकर एफ 21 विमान भारतीय वायुसेना को बेहद शक्तिशाली बना देगा।

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F 21 लड़ाकू विमान

नई दिल्ली: पुराने फाइटर जेट के रिटायर होने के साथ भारतीय वायुसेना में युद्धक विमान लगातार कम हो रहे हैं और इस कमी को पूरा करने के लिए भारतीय वायुसेना निकट भविष्य में एक बड़ी रक्षा खरीद करने वाली है। इसके लिए भारतीय वायुसेना पहले ही इस डील में रुचि रखने वाली कंपनियों को सूचना देने के लिए कह चुकी है। इस बड़े रक्षा सौदे को एमएमआरसीए 2 का नाम दिया जा रहा है जिसके तहत करीब 100 से ज्यादा विमान खरीदे जाने की संभावना है। डील में अमेरिका और दुनिया की सबसे बड़ी हथियार निर्माता कंपनियों में शुमार लॉकहीड मार्टिन को अहम दावेदार माना जा रहा है। यह कंपनी अपने एफ 21 विमान के साथ प्रतियोगिता में उतरने जा रही है। एफ 16 लड़ाकू विमान में कई तरह की आधुनिक तकनीक से लैस करके और भारत की जरूरतों के अनुसार बदलाव करके एफ 21 का रूप दिया गया है।

इस बीच एक समाचार पत्र से बात करते हुए लॉकहीड की ओर से एक बार फिर दोहराया गया कि अगर भारत एफ 21 विमान को चुनता है तो कंपनी किसी अन्य देश को यह विमान नहीं बेचेगी। एक रिपोर्ट के अनुसार लॉकहीड कंपनी के एरोनॉटिकल स्ट्रेटीज एंड बिजनेस डेवलपमेंट के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. विवेक लाल ने कहा कि राफेल और तेजस के साथ मिलकर एफ 21 विमान भारतीय वायुसेना को बेहद मजबूत बना देगा।

अमेरिकी कंपनी भारत में विमान निर्माण का प्लांट लगाने में भी दिलचस्पी दिखाई दिखा चुकी है और कहा है कि भारतीय वायुसेना के लिए विमान मेक इन इंडिया के तहत बनाए जाएंगे। साथ ही दुनिया में एफ 16 का इस्तेमाल कर रहे कई देशों को विमान के कलपुर्जे यहीं से निर्यात किए जाएंगे। जाहिर तौर पर भारत से इस रक्षा सौदे को हासिल करने के लिए लॉकहीड मार्टिन पूरा जोर लगा रही है।

आसान नहीं एफ-21 की राह, मिलेगी कड़ी टक्कर
एमएमआरसीए डील में एफ 21 के अलावा, फ्रांस की डसाल्ट एविएशन का राफेल, स्वीडन की कंपनी साब का ग्रिपेन, यूरोपीय लड़ाकू विमान यूरोफाइटर टाइफून, अमेरिका की बोइंग का एफ ए 18 सुपर हॉर्नोट, रूस का मिग 35 शामिल होंगे। इस बीच भारतीय वायुसेना और भारत सरकार का ध्यान उस कंपनी की ओर होगा जो सबसे अच्छी डील दे सके।

सिंगल इंजन वाले विमान की दरकार
बीते समय में भारत की ओर से 36 राफेल और लगातार सुखोई 30 एमकेआई जैसे डबल इंजन वाले विमानों को एयरफोर्स में शामिल किया गया है। जबकि तेजस के अलावा बीते लंबे समय नए सिंगल इंजन विमानों की डील नहीं की गई है। इसलिए कई विशेषज्ञों के अनुसार एफ 21 को चुना जा सकता है। अगर सिंगल इंजन वाले विमान पर ध्यान केंद्रित किया जाता है तो एफ 21 की टक्कर स्वीडन की कंपनी साब से हो सकती है जो अपने आधुनिक लड़ाकू विमान ग्रिपेन के साथ दावेदारी पेश करेगी।

सिंगल इंजन विमानों की खासियत होती है कि यह वजन में हल्के होते हैं और हवा में तेजी से कलाबाजियां कर सकते हैं। साथ ही इनकी कीमत और संचालन का खर्च भी डबल इंजन विमानों की अपेक्षा काफी कम होता है इसलिए कई देशों की वायुसेनाएं एक उचित अनुपात में सिंगल इंजन लड़ाकू विमान रखना पसंद करती हैं।

खरीदे जा सकते हैं 36 और राफेल!
बीते दिनों आई एक खबर के अनुसार जनवरी 2020 में भारत फ्रांस के साथ 36 और राफेल लड़ाकू विमानों की डील कर सकता है। इससे पहले 36 विमान की डील फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन के साथ की जा चुकी है जो अब एयरफोर्स को मिलना भी शुरु हो गए हैं। अगर यह डील होती है तो भारतीय वायुसेना के पास कुल 72 राफेल लड़ाकू विमान होंगे। इसके अलावा रूस से कुछ अतिरिक्त 12 सुखोई 30 एमकेआई और 21 मिग 29 विमान लिए जाने की खबर भी सामने आई थी।

अगर ये खबरें भविष्य में सही पाई जाती हैं तो एमएमआरसीए 2 डील ठंडे बस्ते में भी जा सकती है क्योंकि फ्रांस और रूस से ये डील करने से वायुसेना की तात्कालिक जरूरतें पूरी हो सकती हैं और भारत भविष्य के लिए अपने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस एमके 2 और AMCA पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। वायुसेना और सरकार किस विकल्प का चुनाव करेगी फिलहाल इस बारे में अंतिम रूप से कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी।

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