- कोरोना महामारी के कारण दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग घर से काम कर रहे हैं
- एक स्टडी के अनुसार, वर्क फ्रॉम होम में कर्मचारी ड्यूटी आवर से अधिक काम कर रहे हैं
- वर्क फ्रॉम होम में कामकाज से संबंधित यह जानकारी 65 देशों में किए गए सर्वे से सामने आई है
नई दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण के कारण दुनियाभर में बड़ी संख्या में कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं। 'वर्क फ्रॉम होम' में कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी बढ़ी है। वे ड्यूटी आवर से कहीं अधिक समय तक काम कर रहे हैं और देर तक मीटिंग्स अटैंड कर रहे हैं। शिड्यूल इतना व्यस्त होता है कि उन्हें ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर या टी-ब्रेक के लिए भी उचित समय नहीं मिल पाता, जो ऑफिस में काम करते हुए उन्हें मिलता था।
अब एक नए अध्ययन से भी इसकी पुष्टि हुई है कि कोविड-19 महामारी के दौरान घर से काम कर रहे कर्मचारियों को ज्यादा देर ड्यूटी करनी पड़ रही है। यह स्टडी वर्कप्लेस सॉप्टवेयर डिवेलपर ऐटलेशियन (Atlassian) ने की है। 65 देशों को किए गए सर्वे के नतीजों के अनुसार, वर्क फ्रॉम होम में लोग निर्धारित ड्यूटी आवर से कहीं पहले लॉग-इन कर रहे हैं, जबकि ड्यूटी आवर खत्म होने के बाद भी देर तक काम करते हैं।
भारत में 32 मिनट अधिक काम कर रहे हैं लोग
सर्वे के नतीजों के अनुसार, अलग-अलग देशों में वर्क फ्रॉम होम में काम करने वाले कर्मचारियों द्वारा जो अतिरिक्त समय काम के दौरान दिया जा रहा है, वह अलग है। इसके अनुसार, इजरायल में कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम के दौरान औसतन 47 मिनट ज्यादा काम कर रहे हैं, जबकि भारत में लोग रोजाना औसतन 32 मिनट ज्यादा ड्यूटी कर रहे हैं। यह निष्कर्ष साल के शुरुआती महीनों के मुकाबले अप्रैल और मई महीने में हुए कामकाज के आधार पर निकाला गया है।
सर्वे के अनुसार, भारत के साथ-साथ अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी लोग वर्क फ्रॉम होम में रोजाना 32 मिनट अधिक काम कर रहे हैं, जबकि दक्षिण अफ्रीका में यह 38 मिनट का और जापान में 16 मिनट का है। दक्षिण कोरिया में सबसे कम औसतन 7 मिनट की बढ़ोतरी वर्क फ्रॉम होम में रोजाना के कामकाज में हुई है।
ड्यूटी आवर, पर्सनल आवर के बीच अंतर खत्म
इस सर्वे से यह बात भी सामने आई है कि वर्क फ्रॉम होम में भले ही लोगों ने पहले यह उम्मीद की थी कि घर से ऑफिस जाने और काम खत्म कर लौटने में लगने वाले समय का इस्तेमाल वे खुद के लिए कर सकेंगे, लेकिन इसका बहुत फायदा उन्हें नहीं मिल रहा। काम का दबाव इतना अधिक होता है कि वे लंच या डिनर भी जैसे-तैसे करते हैं और फिर अपने काम में जुट जाते हैं, जबकि ऑफिस में सहकर्मियों के साथ टी-ब्रेक का जो मौका उन्हें मिलता था, उससे भी वे कई बार वंचित रह जाते हैं।
प्रोफेशनल्स का यह भी कहना है कि वर्क फ्रॉम होम में ड्यूटी आवर और पर्सनल आवर के बीच का फर्क खत्म हो गया है और उनसे हर वक्त मीटिंग के लिए उपलब्ध होने की उम्मीद की जाती है। लोगों को बिना ब्रेक के लंबे वक्त तक काम करना पड़ रहा है। आधे से ज्यादा कर्मचारियों का कहना है कि महामारी से पहले ऐसा नहीं था, जबकि 23 फीसदी कर्मचारियों का कहना है कि वे ऑफ-आवर्स में पहले के मुकाबले अधिक काम कर रहे हैं, जिसकी वजह से उनकी रोजमर्रे की जिंदगी भी प्रभावित हुई है।