- कश्मीर घाटी में चिनाब नदी के ऊपर बन रहा दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज
- ऐफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा और कुतुबमीनार से 5 गुना ज्यादा ऊंचा होगा
- 4,000 इंजीनियर, मजदूर, कर्मचारी लगे हैं इस ब्रिज के निर्माण कार्य में
- ब्रिज के साथ-साथ अन्य छोटे-बड़े टनल बनाए जा रहे हैं, पूरे प्रोजेक्ट की कुल लागत 12,000 करोड़ है
नई दिल्ली : भारत में दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनने जा रहा है। रेलवे मंत्रालय ने एक ट्वीट के जरिए इस बात की पुष्टि की है। ट्वीट में एक वीडियो शेयर किया गया है जिसमें इसके नमूने को दिखाने की कोशिश की गई है। इसके साथ लिखा गया है कि यह उत्कृष्ट इंजीनियरिंग का एक नमूना है जो अपने आप में अद्भुत है।
ट्वीट में कहा गया है कि उत्कृष्ट इंजीनियरिंग का नमूना है। भारतीय रेल द्वारा कश्मीर घाटी को जोड़ने के लिए चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल बनाया जा रहा है जो अपने आप में अद्भुत है। इसकी ऊंचाई नदी तल से 359 मी. है जो की कुतुबमीनार की ऊंचाई से लगभग 5 गुना और फ्रांस के एफिल टॉवर से 35 मी. ऊंचा होगा।
2021 तक बन कर हो जाएगा तैयार
बता दें कि इस ब्रिज के निर्माण के लिए काम बड़ी तेजी से चल रहा है। इंजीनियरों को हालांकि इस पुलिस निर्माण में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है बावजूद इसके वे दिन रात इसके निर्माण कार्य में लगे हैं। बताया जाता है कि 2021 तक ये बन कर तैयार हो जाएगा। कश्मीर घाटी में बने इस रेलवे स्टेशन का फायदा ये होगा कि ये देश के बाकी हिस्सों से कश्मीर को जोड़ेगा।
1997 में शुरू हुआ लेकिन अधर में लटका प्रोजेक्ट
उधमपुर 'श्रीनगर बारामूला रेल लिंक प्रोजेक्ट' आजादी के बाद से ही रेल मंत्रालय के लिए चुनौती भरा रेल प्रोजेक्ट रहा है। 1997 से लेकर अब तक कई बार इसके निर्माण में कई वजहों से देरी आई और बार-बार ये प्रोजेक्ट ठंडा पड़ गया। 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवगौडा ने इस प्रोजेक्ट नी नींव रखी थी।
पीयूष गोयल ने तय किया 2021 तक का समय
अब इसके निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए साल 2021 अंतिम समय दिया गया है। इसका मतलब है कि अगले साल ये पुल बन कर तैयार हो जाएगा। हाल ही में रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने मीटिंग में ये तय किया। कोंकण रेलवे के प्रबंध निदेशक और चेयरमैन संजय गुप्ता ने कहा कि ये अब तक का सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य है और 2021 तक पूरा करने के लिए सारे प्रयास लगा देंगे।
ब्रिज का आधे से ज्यादा काम पूरा
उन्होंने बताया कि कार्य तेजी से प्रगति पर है। ब्रिज का 359 मीटर आर्क बन कर तैयार है, मतलब इसका काफी काम पूरा हो गया है। इंजीनियरों की मेहनत से ऐसा लगता है कि वे डेडलाइन के अंदर उसे पूरा कर देंगे। दिलचस्प बात ये है कि पेरिस में स्थित ऐफिल टावर से भी इसका आर्क 35 मीटर ज्यादा ऊंचा होगा।
2002 में नेशनल प्रोजेक्ट घोषित हुआ
आपको बता दें कि इस प्रोजेक्ट को 2002 में नेशनल प्रोजेक्ट घोषित किया गया था, इसे तैयार करने के लिए केंद्रीय फंडिंग की बात पर सहमति जताई गई थी। इसके बाद 2007, 2015, 2016, 2017 और 2019 इतनी बार इसके काम में बाधा आई और ये पूरा नहीं हो सका। 2008 में इसे शुरू भी किया गया था लेकिन सुरक्षा और अन्य कारणों का हवाला देते हुए इसे उसी समय रोक दिया गया था।
63 मिमी मोटे बम निरोधक स्टील का बना
ब्रिज 63 मिमी मोटी स्पेशल बम निरोधक स्टील से बनाया जा रहा है। डीआरडीओ ने इस बात की पुष्टि की है कि यह किसी भी प्रकार के ब्लास्ट को झेल सकता है और इसका पुल पर कोई असर नहीं होगा। इससे कश्मीर टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। देश के बाकी हिस्सों से रेलवे के माध्यम से लोग आसानी से कश्मीर घूमने आ सकते हैं।
प्रोजेक्ट की कुल लागत 12,000 करोड़ रुपए
रेलवे ब्रिज के साथ-साथ 160 किमी सड़क टनल का भी निर्माण किया जा रहा है जो रेलवे को जोड़ेगा। इसके साथ-साथ अन्य छोटे-बड़े ब्रिज का निर्माण भी किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रोजेक्ट का 70 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। बताया जाता है कि इसकी कुल लागत 12,000 करोड़ है।
4,000 इंजीनियर, मजदूर कर रहे हैं मेहनत, जान का बना रहता है खतरा
ब्रिज और टनल निर्माण कार्य में इंजीनियरों के लिए जान का भी खतरा बना रहता है। ब्रिज निर्माण कार्य में करीब 4,000 इंजीनियर, टेक्निकल स्टाफ, मजदूर लगे हैं। इस दौरान उन्हें, भूस्खलन, बारिश, बाढ़, तूफान जैसे मौसमी खतरों से भी जूझना पड़ता है। मेट्रो मैन के नाम से मशहूर रिटायर्ड रेलवे ऑफिसर ई श्रीधरन ने इसे सिग्नेचर ब्रिज नाम दिया है।