- 20 जनवरी को अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के लिए शपथ ग्रहण करेंगे बिडेन
- भारत के प्रति बिडेन का रुख हमेशा सहयोगात्मक एवं सकरात्मक रहा है
- विगत दशकों में भारत और अमेरिका के संबंध इतने करीबी पहले कभी नहीं रहे
नई दिल्ली : जो बिडेन बुधवार को अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। इसके साथ ही अमेरिका में बिडेन सरकार का दौर शुरू हो जाएगा। पिछले दशकों में भारत और अमेरिका के संबंध काफी मजबूत हुए हैं। खासकर ओबामा और फिर ट्रंप सरकार के दौरान रक्षा, व्यापार के क्षेत्र में दोनों देश काफी करीब आए हैं और आपसी सहयोग नई ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच इतने करीबी संबंध पहले कभी नहीं रहे। अब चूंकि, अमेरिका में सत्ता में बदल रही है तो सवाल उठ रहा है कि क्या दोनों देशों के बीच सहयोग एवं निकटता पहले की तरह बनी रहेगी या उसमें कोई अंतर देखने को मिलेगा। इस पर दो तरह की बातें देखने-सुनने को मिल रही हैं।
अमेरिकी नीतियों में शायद ही बदलाव हो
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच रक्षा, रणनीति एवं सुरक्षा संबंधों में शायद ही कोई बदलाव देखने को मिले। चीन के मसले पर बिडेन सरकार में थोड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है क्योंकि बीजिंग के प्रति मौजूदा अमेरिकी नीति से डेमोक्रेट पार्टी का एक धड़ा अलग रुख रखता है। अमेरिका-भारत के संबंधों पर नजर रखने वाले ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के प्रति अमेरिका का रुख सहयोगात्मक रहेगा। क्योंकि बिडेन के लिए भारत नया नहीं है। सीनेटर और फिर उप राष्ट्रपति रहते हुए ऐसे कई मौके आए जब बिडेन ने भारत का खुलकर साथ दिया और नई दिल्ली का समर्थन किया।
2013 में पत्नी के साथ भारत आए थे बिडेन
ओबामा प्रशासन के दौरान उपराष्ट्रपति के रूप में बिडेन ने 2013 में अपनी पत्नी के साथ भारत का चार दिनों का दौरा किया। विगत वर्षों में अमेरिका में चाहे रिपब्लिकन या डेमोक्रेट की सरकार रही हो, भारत-अमेरिका संबंध हमेशा परवान चढ़ते रहे हैं। बिडेन (1973-2008) तक सीनेटर और 2009 से 2016 तक उप राष्ट्रपति रहे हैं। इस दौरान उन्होंने वह भारत और भारत-अमेरिकी संबंधों के एक बड़े शुभचिंतक रहे हैं।
असैन्य परमाणु समझौता कराने में बिडेन की रही अहम भूमिका
सीनेटर के रूप में बिडेन सीनेट की विदेश संबंधों की समिति के चेयरमैन रहे। इस दौरान उन्होंने भारत के समर्तन में कई प्रस्तावों को पारित कराने में अहम भूमिका निभाई। भारत पर से आर्थिक प्रतिबंध हटाने के लिए बिडेन ने अगस्त 2001 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को पत्र लिखा था। यही नहीं विदेश मामलों की समिति का चेयरमैन रहते हुए बिडेन ने अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु करार 2008 पर सीनेट की मंजूरी दिलाने के लिए अथक प्रयास किया। थिंक टैंकों की राय है कि बिडेन प्रशासन का भारत के प्रति सहयोगात्मक एवं सकरात्मक रहेगा। जानकारों का मानना है कि विदेश मामलों की समिति से इतने वर्षों तक जुड़ा रहने के बाद बिडेन को सीमा पार आतंकवाद, चीन एवं हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मुद्दों को अच्छी समझ है।
भारत के साथ मिलकर काम करने का किया है वादा
बिडेन के समर्तक अजय जैन भुटोरिया का कहना है कि बिडेन आने वाले समय में भारत-अमेरिका और करीब लाएंगे। उन्होंने कहा, 'ओबामा प्रशासन के दौरान भारत-अमेरिका संबंध नई ऊंचाई पर पहुंचे। अब बिडेन-हैरिस सरकार के दौरान दोनों देशों के संबंध और प्रगाढ़ होंगे।' अपने चुनाव प्रचार के दौरान बिडेन ने भारत और अमेरिका के बाच 'स्पेशल बॉन्ड' होने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनने पर अमेरिका जलवायु परिवर्तन सहित सभी वैश्विक मुद्दों पर भारत के साथ मिलकर काम करेगा।